Jammu Kashmir News: नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि स्थानीय नेता अगस्त 2019 के बाद से पार्टी के आंदोलनों पर प्रशासन द्वारा लगाई जाने वाली बंदिशों के आदी हो गए है, लेकिन ये कदम उनके जनता के साथ रिश्तों को कमजोर नहीं कर सकते.


तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर वर्ष 2019 में इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभक्त कर दिया गया था. अनुच्छेद 370 राज्य को विशेष प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करता था.


'जहां खत्म हुआ था वहां फिर हो रहा उग्रवाद'
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आतंकवाद उन इलाकों में फिर से अपना सिर उठा रहा है, जिन्हें कुछ वक्त पहले आतंक-मुक्त घोषित किया गया था. उमर रामबन जिले के बटोटे में चिनाब घाटी क्षेत्र के पदाधिकारियों के एक पार्टी सम्मेलन से इतर संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे.


'हम इनसे बचना सीख गए'
उन्होंने कहा, "यह कोई नई बात नहीं है (नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के आंदोलन पर प्रतिबंध). पांच अगस्त 2019 के बाद यह हमारे लिए रोजाना की बात हो गई है और हम इसके आदी हो चुके हैं, लेकिन हमने यह भी सीखा है कि इससे कैसे बचना है और पलटवार करना है और हम आगे भी ऐसा करना जारी रखेंगे."


'हालात ठीक तो फिर चुनाव क्यों नहीं'
घाटी में हालात बेहतर होने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दावे के बावजूद दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में प्रवासी मजदूरों पर हाल ही में हुए आतंकी हमले पर उमर ने कहा, ''हम बार-बार यह कह रहे हैं कि अगर उन्होंने (भाजपा) हालात बेहतर होने का दावा किया है तो फिर चुनाव क्यों नहीं कराये.''


उन्होंने कहा कि केंद्र के सुरक्षा बेहतर होने के बड़े-बड़े दावों की कलई शोपियां, राजौरी और पुंछ में हुए आतंकी हमले ने खोलकर रख दी है. उन्होंने कहा कि या तो दावा झूठा है या फिर हम लोग वास्तविक हालात देखने में सक्षम नहीं हैं.


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