Jammu Kashmir News: कश्मीर घाटी में सीमा पर तैनात भारतीय सेना इन दिनों दोहरी लड़ाई लड़ रही हैं. एक तरफ सैनिक सीमा पार आतंकवाद से लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ ड्रग्स के खतरे से लड़ रहे हैं. भारतीय सेना ने आधुनिक तकनीक से अपनी चौकियों को सुसज्जित किया है. साथ ही अपने जवानों को युद्ध स्तर पर ड्रग्स के कारोबार का मुकाबला करने के लिए ट्रेंड किया है.


इस बीच एबीपी न्यूज की टीम ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा का दौरा किया, जो कुछ साल पहले तक नार्को-आतंकवादी सिंडिकेट के लिए मेन ट्रांजिट था.  दरअसल, उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में तंगधार सेक्टर में हर साल पाकिस्तान से करोड़ों रुपये के ड्रग्स की तस्करी की खबरें आती थी, जिसके बाद सेना ने इस पूरे इलाके में ड्रग्स के खिलाफ निर्णायक अभियान शुरू किया.


10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित 'नाश्ता चुन' दर्रे (सदना दर्रे) पर भारतीय सेना के आतंकवाद विरोधी ग्रिड ने ड्रग तस्करों पर नजर रखने के लिए तकनीक और अपने व्यापक जनशक्ति दोनों का इस्तेमाल किया.  अब सीमा सुरक्षा बल ड्रग व्यापार के साथ-साथ सीमाओं की निगरानी के लिए एआई सक्षम कैमरे, थर्मल इमेजिंग सेंसर रडार, यूएवी और ड्रोन का उपयोग करते हैं.


वहीं विशेष रूप से प्रशिक्षित जवान ड्रग्स के खतरे से निपटने के लिए एक्स-रे स्कैनर, स्निफर डॉग और अन्य उपकरणों का उपयोग करते हैं. निगरानी कैमरा ऑपरेटर बारा राम ने कहा कि "हम कैमरे और अन्य उपकरणों का उपयोग करके हर समय सीमा पर नजर रखते हैं और अगर हमें कोई गतिविधि दिखाई देती है, तो हम उनपर लगातार नजर बनाए रखते हैं, फिर चाहे वह आतंकवादी हो या ड्रग तस्कर हो."


जम्मू-कश्मीर में छह लाख लोग नशे के आदी
ड्रग से लड़ने के लिए 10020 फीट की ऊंचाई पर सबसे ऊंचा एक्स-रे स्कैनर लगाया गया है, जो दर्रे से यात्रा करने वाले लोगों के बैग की जांच करता है. सदना दर्रा तंगधार को कुपवाड़ा और घाटी के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र सड़क संपर्क है. इसलिए यहां से ड्रग्स लाने ले जाने के प्रयास भी भरपूर होते हैं. तस्करों के लिए सीमा पार से तंगधार में ड्रग्स पहुंचाना आसान है, लेकिन जवानों की आंखों से ड्रग्स का बच पाना असंभव है.


सदना टॉप के प्रभारी अधिकारी मेजर पंकज ने कहा कि "हमने इलाके के सबसे ऊंचे चेक-पोस्ट पर एक्स-रे यूनिट से लेकर स्निफर डॉग और स्कैनर तक सभी हाईटेक उपकरण लगाए हैं. तस्करों के शरीर से ड्रग्स निकालने के लिए हमारे पास एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी यूनिट भी हैं." एम्स और नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि जम्मू-कश्मीर में छह लाख लोग नशे के आदी हैं, जो केंद्र शासित प्रदेश की आबादी का लगभग 4.6% है.


इनमें से 90% ड्रग उपयोगकर्ता 17-33 साल की आयु वर्ग के हैं. जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स का कारोबार हर रोज बढ़ता जा रहा है और कश्मीर के युवा भी उड़ता पंजाब की स्थिति का सामना कर रहे हैं, क्योंकि स्थानीय स्तर पर ड्रग की खपत कई गुना बढ़ गई है. पिछले कुछ सालों में सीमा पार से ड्रग्स आने के कारण स्थानीय स्तर पर भी हेरोइन, कोकीन और ब्राउन शुगर का इस्तेमाल बढ़ने लगा है.


क्या कहते हैं आंकड़ें?
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2015 में जम्मू-कश्मीर में 72.07 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी, जबकि 2019 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने राज्य में 200 किलोग्राम से अधिक हेरोइन बरामद की. वहीं साल 2020 में जब्त की गई दवाओं में 152 किलोग्राम हेरोइन और 49 किलोग्राम ब्राउन शुगर शामिल थी. 2021 में 250 किलोग्राम से अधिक ड्रग्स जब्त किए गए और 2022 में यह मात्रा बढ़कर 300 किलोग्राम से अधिक हो गई.


वहीं 2023 में अधिकारियों ने 319 किलोग्राम ड्रग्स को जब्त किया. जबकि 2024 की पहली छमाही में 110 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई है. 2020 में 1,672 लोगों को पकड़ा गया था, लेकिन फिर भी बिजनेस में कोई कमी नहीं आई है. 2023 से अवैध नशीले पदार्थों के व्यापार नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई के दौरान कुल 3,190 मामले दर्ज किए गए हैं और 4,536 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा से सटा होने के कारण कश्मीर "गोल्डन होराइजन" के सभी अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करों के लिए भी एक आसान रास्ता है. जम्मू-कश्मीर में चल रहे आतंकवाद ने भी इसे बढ़ावा देने में मदद की है, जिसके कारण 'नार्को-टेरर' से लड़ने में लगे सुरक्षा बलों को भारतीय सेना के रूप में एक नया सहयोगी मिल गया है.



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