Jammu Kashmir: घाटी में गए थे मजदूरी करने, दहशतगर्दों ने ले ली जान, अमृतसर के 2 परिवारों पर टूटा कहर
Srinagar Terrorist Attack: परिजनों के मुताबिक आतंकियों के शिकार हुए दोनों युवकों को मंगलवार को ही कश्मीर के लिए निकलना था, लेकिन बस छूट गई. श्रीनगर में आतंकियों ने घात लगाकर उन पर हमला किया.
Srinagar Target Killing: सुरक्षाबलों की सख्ती के बावजूद आतंकी गतिविधियों पर पूरी तरह से लगाम नहीं लग पा रहा है. दहशतगर्दों ने एक बार फिर से श्रीनगर में खलल डालने की कोशिश की है. बुधवार देर शाम को श्रीनगर में आतंकियों ने घात लगाकर दो युवकों पर हमला किया. जिसमें दोनों की जान चली गई. दोनों मृतक पंजाब के अमृतसर के रहने वाले थे.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रीनगर में एक आतंकवादी हमले में मारे गए अमृतपाल सिंह और रोहित मसीह अमृतसर के चाम्यारी गांव के रहने वाले थे. वे दोनों काफी गरीब परिवार से आते थे. परिवार का पालन पोषण करने के लिए दोनों जम्मू-कश्मीर में मजदूरी करने के लिए गए थे लेकिन आतंकियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
पंजाब के 2 युवकों की आतंकी हमले में मौत
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, टारगेट किलिंग का शिकार हुए पंजाब के दोनों युवकों को मंगलवार (6 फरवरी) को कश्मीर के लिए रवाना होना था, लेकिन उनकी बस छूट गई थी और वो बुधवार को रवाना हुए. दोनों पंजाब के चाम्यारी गांव के रहने वाले थे और पड़ोसी थे. बताया जाता है कि अमृतपाल सिंह, जो पिछले पांच वर्षों से कश्मीर में बढ़ई का काम कर रहे थे. इन्होंने ही रोहित मसीह को कुछ पैसे कमाने के लिए अपने साथ शामिल होने के लिए मना लिया था.
एक दिन पहले ही कश्मीर जाना था
रिपोर्ट के मुताबिक कई अन्य प्रवासी श्रमिकों की तरह ही अमृतपाल सिंह सर्दियों के दौरान अपने गांव वापस आते थे और दिवाली के बाद से घर पर थे. परिजनों के मुताबिक उन्हें मंगलवार को कश्मीर के लिए निकलना था, लेकिन बस छूट गई और वे बुधवार को चले गए. वहीं, रोहित के लिए यह घाटी की पहली यात्रा थी. सिंह के परिवार ने कहा कि वे इस साल के अंत में उनकी शादी की व्यवस्था करने की योजना बना रहे थे. रोहित मसीह भी अविवाहित था.
काफी गरीब परिवार से हैं दोनों युवक
अमृतपाल अपने पीछे पांच बहनें और एक बड़ा भाई छोड़ गए हैं. उनके पिता एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. कहा जा रहा है कि वह अक्सर कश्मीर और उसकी सुंदरता के बारे में बात करते थे. वह लोगों के आतिथ्य सत्कार की प्रशंसा करते नहीं थकते थे. उन्होंने कभी कोई डर जाहिर नहीं किया. अमृतपाल के दोस्त गुरजंट सिंह ने कहा, ''हम आश्चर्यचकित हैं कि उसके साथ ऐसा हुआ.'' वहीं, रोहित मसीह अपने पीछे एक बहन और मां-पिता को छोड़ गए हैं. उनके पिता की उम्र अधिक हो गई है और वो अब काम नहीं कर पाते हैं.
मुआवजे का मरहम
कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने परिवारों से मुलाकात की और मुआवजे के रूप में प्रत्येक को 2 लाख रुपये का चेक सौंपा. हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ये पर्याप्त नहीं है. उनका मानना है कि आतंकियों का शिकार हुए दोनों लोग काफी युवा थे, उनके परिवार उन पर निर्भर थे. इतने कम मुआवजे से नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती.
आतंकियों ने ली जान
बता दें कि पुराने श्रीनगर शहर के शलाकादल इलाके में आतंकवादी गोलीबारी की चपेट में आने के बाद 31 वर्षीय अमृतपाल सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 27 वर्षीय मसीह ने गुरुवार सुबह श्रीनगर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया. सूत्रों के मुताबिक संदिग्ध आतंकवादियों ने शहीद गंज में उनके किराए के आवास के ठीक बाहर उन पर गोलीबारी की थी. पंजाब के रहने वाले दोनों के परिवारों पर फिलहाल दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.
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