Jammu Kashmir News Today: जम्मू-कश्मीर में डोडा के एक सुदूर गांव में जैल सिंह और रविता देवी की शादी के समय ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) आतंकियों के किसी भी खतरे को टालने के लिए पहरा दे रहे थे. सीमा पार से घुसपैठ कर आए आतंकियों के बारे में माना जा रहा है कि वे जिले के पर्वतीय इलाकों में छिपे हुए हैं. 


भगवाह पंचायत के गदन गांव निवासी 20 वर्षीय सिंह ने पिछले सप्ताह पहले से तय तारीख के अनुसार देवी के साथ विवाह की रस्में पूरी कीं, जबकि उनके क्षेत्र में नौ जुलाई को कई घंटों तक आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच भीषण गोलीबारी हुई थी. जम्मू क्षेत्र के डोडा में 12 जून से कई आतंकवादी घटनाएं हुई हैं. 


डेसा में सेना पर आतंकी हमला
जिसे 18 वर्षों से शांति के बाद जिले में आतंकवाद को फिर से बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी आकाओं के जरिये किए गए प्रयास के रूप में देखा गया है. पुलिस ने कई हमलों के लिए जिम्मेदार तीन आतंकवादियों के ‘स्केच’ 27 जुलाई को जारी किए. जिनमें 15 जुलाई को डेसा जंगल में सेना के तलाशी दल पर हमला करने वाला आतंकवादी भी शामिल है. हमले में एक कैप्टन सहित चार सैनिक शहीद हो गए थे. 


गदन गांव के निवासी, वीडीजी सदस्य भरत सिंह (55) ने मीडिया से कहा, "एक के बाद एक हुए आतंकवादी हमलों से लोगों में दहशत फैल गई है. यह शादी-ब्याह का समय है, इसलिए हम यह सुनिश्चित करने आगे आ रहे हैं कि लोग अपने महत्वपूर्ण अवसरों को आतंक के साये के बिना मना सकें." 


'वीडीजी से लोग महसूस कर रहे हैं सुरक्षा'
सिंह ने कहा कि वीडीजी ने गांव और आसपास के इलाकों में कुछ विवाह समारोहों के लिए सुरक्षा प्रदान की है, वे कई अन्य समारोहों के लिए भी ऐसा करेंगे, जो जल्द ही होने वाले हैं क्योंकि उनकी उपस्थिति से "लोग सुरक्षित महसूस करते हैं." 


देसा जंगल में भीषण मुठभेड़ के अलावा, 12 जून से 18 जुलाई के बीच चत्तरगल्ला दर्रे, गंडोह, कास्तीगढ़ और घड़ी बगवाह जंगल में अलग-अलग आतंकी हमलों में कम से कम 10 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. जिले के गंडोह इलाके में 26 जून को दिनभर चले अभियान में तीन आतंकवादी मारे गए, जबकि घने जंगलों में छिपे अन्य आतंकी समूहों को खत्म करने के लिए तलाश जारी है. 


शादी समारोह में वीडीजी ने दी स्पेशल सुरक्षा
वीडीजी सदस्य ने कहा कि जैल सिंह के पिता करण सिंह विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) हैं, इसलिए इस समारोह को आतंकियों के जरिये निशाना बनाए जाने की आशंका थी. उन्होंने कहा, "हमने न केवल गांव में परिवार को सुरक्षा प्रदान की, बल्कि गदन से लगभग 25 किलोमीटर दूर कोटी के रास्ते देवली गांव तक बारात के साथ भी गए. जब ​​एक अन्य वीडीजी टीम ने जिम्मेदारी संभाली, तो हम आधे रास्ते से लौट आए." 


जानें वीडीजी के बारे में?
जिले में 1995 से 2006 के बीच ग्रामीणों पर हुए आतंकवादी हमलों को याद करते हुए भरत सिंह ने कहा कि वीडीजी अपने गांवों की चौबीसों घंटे रक्षा कर रहे हैं और वे स्वेच्छा से अपने बच्चों की शादी का जश्न मना रहे परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए आगे आए हैं. 


वीडीजी को पहले ग्राम रक्षा समिति (वीडीसी) के रूप में जाना जाता था. वर्ष 2022 में गृह मंत्रालय ने वीडीसी की नीति में बदलाव किया और ग्राम रक्षा समूह शुरू किए गए, जिनके सदस्यों को ग्राम रक्षक कहा जाता है. सिर्फ नाम ही नहीं बदला गया, समितियों की संरचना भी बदली गई. 


वीडीसी में केवल एसपीओ को ही भुगतान किया जाता था, लेकिन अब वीडीजी में सभी सदस्यों को भुगतान किया जाता है. गृह मंत्रालय की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 4,153 ग्राम रक्षा समूह (वीडीजी) और 32,355 एसपीओ जिला पुलिस अधीक्षकों या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों की प्रत्यक्ष निगरानी में नागरिकों की सुरक्षा और आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए विभिन्न जिम्मेदारियों में लगे हुए हैं. 


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