Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर में शीतलहर का प्रकोप जारी है. कश्मीर घाटी में बर्फबारी ने ठंड को और बढ़ा दिया है. ठंड के साथ अगलगी की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है. गनीमत है कि आग लगने की घटनाओं में किसी की जान नहीं गई है, लेकिन संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है. नए साल के पहले सप्ताह में कश्मीर में अगलगी की कुल 43 घटनाएं दर्ज की गई हैं. श्रीनगर में पिछले 24 घंटों के दौरान दो बड़ी घटनाओं में से कुल 11 मामले सामने आए हैं, जिसमें 8 से अधिक घर और 20 दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई हैं.


अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा कश्मीर के सहायक निदेशक इंजीनियर आकिब हुसैन मीर ने चिंता जताते हुए कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह में कश्मीर में 43 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें से अकेले श्रीनगर में 11 मामले सामने आए. विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों के दौरान आग लगने का मुख्य कारण हीटिंग गैजेट्स का अत्यधिक उपयोग है.


अधिकारियों ने कहा, "लोग खरीदारी करते समय गैजेट की गुणवत्ता की जांच नहीं करते हैं. गुणवत्ता और ब्रांड को परखना जरुरी है. रात को सोते समय बिजली उपकरणों को बंद करने के साथ गुणवत्ता वाले हीटिंग उत्पादों का इस्तेमाल किया जाए."


सर्दियों में बढ़ी आग लगने की घटनाएं


पिछले तीन वर्षों के दौरान कश्मीर में आग लगने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि घाटी में 2021 में 1,654, 2022 में 1,982 और 2023 में 2,310 अगलगी के मामले सामने आए. 2024 में, ग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा को 42 झूठे अलार्म सहित 6,752 आग की कॉल मिलीं. आग की चपेट में आकर 2,938 इमारतों को नुकसान हुआ. 1,699 करोड़ रुपये की संपत्ति बचा गई. 2024 के दौरान, श्रीनगर शहर में 600 से अधिक आग की घटनाएं हुईं. आग में 700 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति प्रभावित हुई और लगभग 23 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ.


जागरुकता बढ़ाने के लिए विभाग तैयार


आग की घटनाओं में श्रीनगर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आग के प्रति जागरुकता बढ़ाने का विभाग प्रयास कर रहा है. आकिब ने कहा, "2024 में, हमने 4,000 से अधिक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए. किश्तवाड़ के वारवन में बड़ी आग की घटना के बाद, निदेशक अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं ने बैठक की. बैठक में 300 से अधिक अलग-थलग गांवों की पहचान की गई." अग्निशमन अधिकारियों का कहना है कि लकड़ी के ढांचे और पैनलिंग की वजह से इमारतों को आग का खतरा होता है.


असुरक्षित हीटिंग प्रथाएं, अग्नि सुरक्षा के बारे में जागरूकता की कमी अगलगी की घटनाओं में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. उन्होंने कहा, "लोग इमारतों पर काफी पैसा खर्च करते हैं, लेकिन आग बुझाने वाले उपकरणों की उपेक्षा करते हैं, जिनकी कीमत केवल कुछ हजार रुपये होती है." आग लगने के पीछे के कारण अलग-अलग हैं. विद्युत प्रणालियों में शॉर्ट सर्किट, लकड़ी के स्टोव जैसे पारंपरिक हीटिंग तरीकों का उपयोग दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. 


ये भी पढ़ें-


Kashmir: ठंड से ठिठुरी कश्मीर घाटी, शीतलहर का बढ़ा प्रकोप, तापमान में होगी और गिरावट