Jammu Kashmir Weather Update: कश्मीर घाटी और लद्दाख में सर्दियों की आधिकारिक शुरुआत से एक महीने पहले ही लोगों को जनजीवन प्रभावित करने वाली शीत लहर की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच आज गुरुवार (28 नवंबर) को मौसम विभाग ने अगले 72 घंटों के दौरान बर्फबारी की भविष्यवाणी की है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस क्षेत्र में तीन पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना है, जिससे तापमान में और गिरावट आने की आशंका है.


गुरुवार को श्रीनगर में न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट देखी गई. यहां पारा -2.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो साल के इस समय के न्यूनतम तापमान से काफी कम है. इसे कश्मीर घाटी में कड़ाके की सर्दी की स्थिति की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है. तापमान में यह गिरावट चिल्लई कलां की शुरुआत है, जो कश्मीर में 40 दिनों की सबसे कड़ाके की सर्दी की अवधि है. यह आमतौर पर 21 दिसंबर से शुरू होती है और 30 जनवरी तक चलती है.


रात के समय की ठंड भी पूरे क्षेत्र में बढ़ गई है और घाटी में शून्य से 2 और शून्य से 5 डिग्री के बीच न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया है. हालांकि, दक्षिणी जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां शोपियां सबसे ठंडा स्थान रहा. यहां न्यूनतम तापमान -5.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. लद्दाख क्षेत्र में भी भीषण शीत लहर की स्थिति है. लेह में तापमान शून्य से 8.8 डिग्री सेल्सियस नीचे, कारगिल में शून्य से 8.3 डिग्री सेल्सियस नीचे और द्रास -12.2 डिग्री सेल्सियस के साथ सबसे ठंडा स्थान रहा. 


लद्दाख में एडवाइजरी जारी
लद्दाख में मौसम विभाग ने एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि अगले 12 घंटों में मौसम में सुधार होने की संभावना है. साथ ही 3-4 इंच बर्फबारी की भविष्यवाणी की है, जिससे सड़क परिवहन गतिविधियों में रुकावट हो सकती है. मौसम विभाग के अनुसार, 30 नवंबर और 2-3 दिसंबर को लदाख के कई इलाकों और खासतौर पर जोजिला में बर्फबारी का अनुमान है.


40 दिन की कड़ाके की सर्दी यानी चिल्लई कलां से पहले भीषण ठंड के आगमन ने मौसम विभाग के उस पूर्वानुमान को सही साबित कर दिया है जिसमें कहा गया था कि इस साल सर्दियां बहुत अधिक पड़ेंगी. इन 40 दिनों के दौरान, क्षेत्र में तेज ठंड, लगातार बर्फबारी और श्रीनगर की डल झील के कुछ हिस्सों सहित जमे हुए जल निकाय देखे जाते हैं. 


इस तरह के तापमान में उतार-चढ़ाव घाटी की कठोर मौसम स्थितियों को उजागर करते हैं, जहां रातें जम जाती हैं और यहां तक कि कई क्षेत्रों में दिन का तापमान भी शून्य से ऊपर नहीं जा पाता है. फिलहास आम लोग और अधिकारी तापमान में और गिरावट और इससे होने वाली चुनौतियों के लिए तैयार हैं. खासकर शोपियां, कुपवाड़ा, गुरेज, तंगधार और पीर पंजाल के दक्षिण जैसे दूरदराज और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लोगों ने तैयारी कर ली है.


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