Jammu & Kashmir: कश्मीर घाटी के गांदरबल में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर घाटी में काम कर रहे प्रवासी मजदूरों में डर और खौफ का माहौल है. बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर कश्मीर घाटी छोड़कर जा रहे हैं, हालांकि कश्मीर घाटी छोड़ने की वजह पर प्रवासी मजदूर की राय बंटी हुई है.
जम्मू रेलवे स्टेशन पर मंगलवार का नजारा कुछ अलग था. आमतौर से यात्रियों और श्रद्धालुओं से खचाखच भरे रहने वाले इस रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपना बोरिया बिस्तर बांधकर अपनी अपनी ट्रेन का इंतजार करते दिखे. इन प्रवासी मजदूरों के चेहरों पर डर और खौफ साफ झलक रहा था. रेलवे स्टेशन पर जिस तरफ आपकी नजर जाएगी आपको प्रवासी मजदूर अपने सामान के साथ दिखाई देंगे.
बिहार के रहने वाले रेत मजदूर पप्पू का दावा है कि हमले के बाद कश्मीर घाटी में काम कर रहे हैं प्रवासी मजदूरों में डर का माहौल है. हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि उन्हें कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए किसी ने नहीं कहा लेकिन वह डर के मारे वहां से निकल आए. उसने कहा, "सोमवार को जब में बाजार में घूम रहा था तो मुझे कुछ स्थानीय लोगों ने कहा कि आप शाम ढलने के बाद बाजार में मत घूमिए". पप्पू ने दावा किया कि जिस तरह से कश्मीर घाटी में रविवार शाम मजदूरों पर हमला किया गया उसके बाद वहां काम कर रहे हैं मजदूरों में डर और खौफ का माहौल है.
उत्तर प्रदेश के बहराइच के श्यामजी का दावा है कि वह भी कश्मीर में रंग रोगन का काम करते हैं. उन्होंने कहा, "मंगलवार शाम को मेरी ट्रेन है और मेरी बुकिंग हो गई है. सर्दी के मौसम में कश्मीर घाटी में रंग रोगन का काम नहीं होता इसलिए मैं वापस जा रहा हूं". श्यामजी के साथ ही उनका छोटा भाई भी था. श्यामजी के छोटे भाई के मुताबिक जान का डर सबको रहता है और जिस तरह से कश्मीर घाटी में प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया. उसके बाद वहां काम करना खतरे से खाली नहीं. उन्होंने बताया कि वह अब कश्मीर घाटी दोबारा नहीं जाएंगे.
वहीं जम्मू रेलवे स्टेशन पर टी स्टाल के पास कुछ लोग चाय की चुस्की ले रहे थे. चर्चा कश्मीर में हालात की थी. यह सभी लोग प्रवासी मजदूर थे और कश्मीर में हालात पर चिंता जता रहे थे. उनके मुताबिक जिस तरह से वहां काम कर रहे हैं, मजदूरों को आतंकियों नहीं निशाना बनाया, उसके बाद उनके वहां रहना ठीक नहीं है.
वहीं बिहार के सरफराज का कहना है कि वह कश्मीर में काम करते हैं. ठंड के मौसम में लोग टाइल नहीं लगवाते इसलिए मैं वापस अपने गांव जा रहा हूं. इस हमले के बाद हमें कश्मीर में किसी प्रकार का कोई डर या खतरा नहीं है. वहां के लोग मेहमान नवाजी में विश्वास रखते हैं और हमें घर के सदस्य की तरह रखते हैं. "जो कुछ कश्मीर में हुआ वह ठीक नहीं लेकिन इस घटना से हम लोगों का कश्मीर छोड़ना नहीं जोड़ा जाना चाहिए",.
वहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बयान दिया है कि कश्मीरी घाटी से प्रवासी मजदूरों को पुलिस और प्रशासन घाटी छोड़ने के लिए कह रही है.
वहीं कश्मीर पुलिस ने भी तुरंत इन बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया दी. कश्मीर पुलिस के मुताबिक सोशल मीडिया पर जिस तरह से पुलिस और प्रशासन के खिलाफ खबरें फैलाई जा रही हैं, वह भ्रामक है. पुलिस के मुताबिक कश्मीर में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए वह कटिबंध हैं.
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