Kashmiri Pandit Exodus: कश्मीरी पंडितों के पलायन के 32 साल पूरे होने के बाद एक बार फिर से ये मामला सुर्खियों में है. इसे लेकर नेशनल कांफ्रेंस ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुनर्वास के लिए स्पष्ट नीति बनानी चाहिए. साथ ही इस नीति के क्रियान्वयन के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए. राज्य की मुख्य राजनीतिक पार्टियों में शामिल नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से बुधवार को इस मामले को लेक एक ट्वीट किया गया.


नेशनल कांफ्रेंस ने ट्वीट में लिखा "कश्मीर पंडितों को अपने जन्मस्थलों और कश्मीर में अपने घरों से दूर रहते हुए तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है. सरकार को उनकी वापसी और पुनर्वास की प्रक्रिया को तेज करने के लिए स्पष्ट नीति बनानी होगी और इसके क्रियान्वयन के लिए ठोस कदम उठाने होंगे." वहीं नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए अपनी राय रखी है.


उमर अब्दुल्ला ने ये लिखा


उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की वापसी से पहले सुरक्षा परिदृश्य में सुधार की आवश्यकता है. उमर ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक स्पष्ट नीति के अलावा उनकी वापसी से पहले सुरक्षा परिदृश्य में अत्यधिक सुधार करना जरूरी होगा. हम उम्मीद और प्रार्थना करते हैं कि वह दिन (कश्मीरी पंडितों की वापसी का दिन) ज्यादा दूर नहीं हो.



आपको बता दें कि 19 जनवरी 2022 को कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से पलायन के 30 साल पूरे हो चुके हैं. इसी दिन 1990 में आतंकवादियों के किए गए जनसंहार के बाद घाटी में हालात बिगड़ गए थे और कश्मीरी पंडित समुदाय ने पलायन शुरू कर दिया था.


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