Kashmiri Pandit killing: पुलवामा में आतंकवादियों के हमले में मारे गए दिवंगत संजय शर्मा के परिवार ने सरकार से एक घर, सरकारी नौकरी और बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की मांग की है. मृतक संजय शर्मा की 31 वर्षीय विधवा सुनीता अपने परिवार के साथ पुलवामा छोड़कर जम्मू चली गई है. सुनीता, उसके तीन बच्चे और संजय की दो भाभियों के साथ पूरा परिवार अब जम्मू में अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहा है.


एलजी से लगाई मदद की गुहार


उन्होंने मीडिया से बताया कि हम जम्मू चले गए हैं, क्योंकि हम अब वहां सुरक्षित नहीं थे. अगर आतंकवादी मेरे पति को मार सकते हैं, तो वे मेरे बच्चों को भी मार सकते हैं. वहीं,परिवार के एकमात्र कमाने वाले की हत्या के बाद सुनीता ने उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि मैं एलजी मनोज सिन्हा से अपील करती हूं कि वे हमें एक घर, मेरे बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था और मुझे एक सरकारी नौकरी के साथ ही पर्याप्त मुआवजा दें, ताकि मैं अपने बच्चों की परवरिश कर सकूं. 


अभी तक नहीं मिला मुआवजा


सुनीता ने कहा है कि मेरे पति एक एटीएम गार्ड थे और उनके पास एक छोटी सी जमीन थी. किसी तरह, हम गरीबी के बावजूद गुजारा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इससे पहले हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी कुछ होगा. उसकी हत्या ने हमारी दुनिया को उल्ट कर रख दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुलवामा के डिप्टी कमिश्नर ने पति की हत्या के बाद उनके बच्चों के लिए ₹6 लाख की सावधि जमा देने का वादा किया था, जो अभी तक नहीं दिया गया है.


आत्महत्या की दी चेतावनी


26 फरवरी को पुलवामा के अचन गांव में आतंकवादियों ने 40 वर्षीय कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की 26 फरवरी को गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस हादसे से सहमे परिवार ने पुलवामा छोड़कर चम्मु में शरण ले रखी है. परिवार का कहना है कि अब हम कश्मीर वापस नहीं जाएंगे. मैं एलजी से आग्रह करती हूं कि हमारे लिए कुछ करें, नहीं तो हम आत्महत्या कर लेंगे.


मदद के लिए सरकार को भेजा आवेदन


मृतक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा के परिवार ने राहत और पुनर्वास आयुक्त के पास एक सरकारी आवास उपलब्ध कराने और अपने परिवार को सहायता के लिए पात्र बनने के लिए प्रवासियों की श्रेणी में पंजीकृत करने का अनुरोध करते हुए एक आवेदन दिया है. वहीं, इस मामले में राहत और पुनर्वास आयुक्त केके सिद्धा का कहना है कि चूंकि मैं ऐसे मामलों पर एक्शन लेने के लिए अधिकृत नहीं हूं, इसलिए हमने मामले को प्रशासनिक विभाग को भेज दिया है. जैसे ही हमें प्रशासनिक विभाग से इस संबंध में कोई निर्देश प्राप्त होंगे, आवश्यक कार्रवाई शुरू की जाएगी.


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