PM Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (25 फरवरी) को 'मन की बात' कार्यक्रम के 110 वें एपिसोड में हिस्सा लिया. रेडियो के इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने कई गुमनाम नायकों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि अनगिनत लोगों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए निस्वार्थ प्रयास करते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है. जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में नागरिकों के प्रयास हर किसी को प्रेरित करते हैं. पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के गांदरबल के रहने वाले मोहम्मद मानशाह की 'गोजरी' भाषा को संरक्षित करने को लेकर जमकर तारीफ की.
'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के एक गुमनाम नायक मोहम्मद मानशाह का जिक्र करते हुए कहा कि गांदरबल के रहने वाले मोहम्मद मानशाह गोजरी भाषा को संरक्षित करने के काम में जुटे हैं. उनकी यह कोशिश सराहना के योग्य है.
क्या है मोहम्मद मानशाह की उपलब्धि?
जम्मू-कश्मीर में गांदरबल के मोहम्मद मानशाह पिछले तीन दशकों से 'गोजरी' भाषा को संरक्षित करने के प्रयास में जुटे रहे हैं. वे गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं, जो कि एक जनजातीय समुदाय है. उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था. वो रोजाना 20 किमी की दूरी पैदल तय करते थे. इस तरह की चुनौतियों के बीच उन्हें मास्टर की डिग्री हासिल की और ऐसे में ही उनका अपनी भाषा को संरक्षित करने का संकल्प दृढ़ हुआ.
अरुणाचल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों का जिक्र
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के गुमनाम नायक बनवंग लोसू का जिक्र किया. तिरप के बनवंग लोसू एक शिक्षक हैं. इन्होंने स्थानीय ट्राइबल भाषा वांचों के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है. ये भाषा अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है. बनवंग लोसू ने लैंग्वेज स्कूल बनवाने का नेक काम किया हैं और आने वाली पीढ़ियों को इस भाषा से अवगत करा रहा है. इसके अलावा कर्नाटक के वेंकप अंबाजी सुगेतकर की भी पीएम ने तारीफ की. सुगेतकर एक बेहतर लोक गायक हैं और 1000 से अधिक गोंधली गाने गा चुके हैं. लोकगीतों के जरिए वो गोंधली भाषा की कहानियों का प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं.
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