'इससे खूनखराबा हो सकता है', अजमेर शरीफ दरगाह मामले में महबूबा मुफ्ती का बड़ा बयान
Ajmer Sharif Dargah: जम्मू-कश्मी की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह और संभल के मस्जिद मामले में कहा कि सांप्रदायिक हिंसा की जिम्मेदारी आगे कौन लेगा?
Srinagar News: पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका पर तीखी टिप्पणी की है. महबूबा ने कहा कि मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाने से खूनखराबा हो सकता है. उन्होंने पूर्व सीजेआई पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी वजह से अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को लेकर विवादित चर्चा शुरू हो गई है.
महबूबा ने 'एक्स' पर लिखा कि ''सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 1947 में मौजूद संरचनाओं पर यथास्थिति रहेगी, इसके बावजूद उनके (पूर्व सीजेआई) आदेश ने इन स्थानों के सर्वे का रास्ता तैयार कर दिया है जिससे हिंदुओं और मुसलमानों में तनाव की संभावना बढ़ गई है.'' महबूबा सीधे तौर पर पूर्व सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ की ओर इशारा कर रही थीं जिन्होंने ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वे की अनुमति दी थी.
Thanks to a former Chief Justice of India a Pandora's box has been opened sparking a contentious debate about minority religious places. Despite a Supreme Court ruling that the status quo should be maintained as it existed in 1947, his judgement has paved the way for surveys of…
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 28, 2024
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि संभल में हुई ताजा हिंसा उसी जजमेंट का नतीजा है. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पहले मस्जिद और अब अजमेर शरीफ जैसे मुस्लिम दरगाहों को निशाना बनाया जा रहा है जिससे कि खूनखराबा हो सकता है. उन्होंने आगे कहा, ''सवाल बना हुआ है कि विभाजन के दिनों को याद दिलाने वाली सांप्रदायिक हिंसा की जिम्मेदारी कौन लेगा?''
सज्जाद गनी लोन ने किसे बनाया निशाना?
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन ने भी याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा कि प्राथमिकताओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. लोन ने कहा कि जब हम 2025 की तरफ बढ़ रहे हैं. जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग है तो अफसोस की बात है कि समाज पिछड़ेपन के रास्ते को चुन रहा है. भारतीय होने के नाते हमें ईमानदार होने की जरूरत है कि हमने प्रौद्योगिकी की क्रांति में कोई योगदान नहीं दिया है.
सज्जाद गनी लोन ने कहा कि देश का ध्यान छुपे हुए मंदिरों को उजागर करने के जुनून की तरफ है. एक बड़ा वर्ग इसकी सराहना भी कर रहा है. पढ़े-लिखे लोगों को जिन्हें प्रौद्योगिकी की क्रांति के लिए आगे आना चाहिए तो वे मिथक बनाने में लगे हुए हैं.
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