Jammu Kashmir Politics: नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने कहा है कि उन्हें कश्मीरी प्रवासियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के विस्थापित लोगों को विधानसभा में आरक्षण (Reservation) देने से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जिस तरह से उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है, उससे वे असहमत हैं. दोनों पार्टियों ने कहा कि विधानसभा में आरक्षित सीटों के लिए सदस्यों को मनोनीत करने की शक्ति निर्वाचित सरकार के पास होनी चाहिए न कि उपराज्यपाल के पास होनी चाहिए 


केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों के लिए दो सीटें और पीओके के विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित करने के वास्ते केंद्र जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करने के लिए संसद में एक विधेयक पेश करने की योजना बना रहा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, “ हमें ऐसे समुदायों को आरक्षण देने में कोई समस्या नहीं है जिनका प्रतिनिधित्व नहीं है. उच्च सदन का यही विचार था कि ऐसे सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व हो और इसके मुताबिक, उच्च सदन में पहाड़ी, गुज्जर, कश्मीरी पंडित या किसी अन्य समुदाय के लिए सीटें आरक्षित की गईं. लेकिन इस पुनर्गठन अधिनियम ने उसे भी खत्म कर दिया.”


उपराज्यपाल के पास नहीं मनोनयन की शक्ति- सादिक
सादिक कहा कि दूसरा मुद्दा यह है कि उपराज्यपाल केंद्र द्वारा नियुक्त व्यक्ति हैं और उनके पास विधानसभा में सदस्यों को मनोनीत करने की शक्तियां नहीं हैं. सादिक ने कहा कि दिल्ली से नियुक्त व्यक्ति उपराज्यपाल दो सीटों के लिए (सदस्यों को) मनोनीत करेंगे, यह लोकतंत्र में अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि पहले भी जब महिलाओं के लिए दो सीटें आरक्षित होती थीं तो निर्वाचित सरकार की मंजूरी के बाद ही उन्हें मनोनीत किया जाता था.


पाप छुपाने की कोशिश कर रही बीजेपी- सादिक
सादिक ने कहा कि बीजेपी अपने ‘पापों को छुपाने’ की कोशिश कर रही है. सादिक ने कहा, “ उन्हें समझ आ गया है कि आने वाले चुनाव में उनकी संभावनाएं अच्छी नहीं हैं. उन्हें लगता है कि उपराज्यपाल द्वारा चार-पांच सीटें पर (लोगों को) मनोनीत कराने से उन्हें मदद मिलेगी. लेकिन मुझे लगता है कि जब चुनाव का समय आएगा तो उन्होंने जो किया है उसके लिए लोग उन्हें दंडित करेंगे.”


आरक्षण से गहरा होगा अविश्वास- पीडीपी
वहीं, पीडीपी प्रवक्ता मोहित भान ने कहा कि प्रस्तावित आरक्षण से दोनों समुदायों के बीच अविश्वास और गहरा होगा. उन्होंने कहा, “जहां तक कश्मीरी पंडितों को आरक्षण का सवाल है, वे विस्थापित हैं और समुदायों के बीच अविश्वास और असुरक्षा की भावना है. इसका समाधान करने के लिए एक बड़े राजनीतिक दृष्टिकोण की जरूरत है.” भान ने कहा कि पहले भी विधानसभा में मनोनीत सदस्य होते थे, लेकिन मनोनीत करने की शक्ति अब उपराज्यपाल को दी गई है. उन्होंने कहा, “ बेहतर होता कि कुछ सीटें आरक्षित कर दी जातीं और वहां से प्रतिनिधि चुना जाता. यह कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए एक बड़ा मंच तैयार करेगा और पिछले 35 वर्षों में पैदा हुए शून्य को भर देगा.”


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