Omar Abdullah Exclusive: जम्मू कश्मीर में 42 सीटें लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनने वाली 'जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस, JKNC) अब जल्द ही कांग्रेस के साथ सरकार का गठन करने वाली है. इस बीच उमर अब्दुल्ला ने हरियाणा में कांग्रेस की हार, अनुच्छेद 370 समेत कई मुद्दों पर बड़े बयान दिए हैं. 


एबीपी न्यूज को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मुझे इस बात का एहसास है कि जनता को हमसे बहुत उम्मीदे हैं, प्रदेश में बहुत मुश्किलें भी हैं, लेकिन हम इसपर काम शुरू करेंगे और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे." 


'कांग्रेस को करना चाहिए मंथन'
एनसी ने कांग्रेस से जिस उम्मीद के साथ सीट शेयरिंग की थी, उसपर कांग्रेस खरी नहीं उतर सकी है. जम्मू में कांग्रेस केवल एक सीट जीत सकी. वहीं, कश्मीर में पांच सीटें लाई. ऐसे में क्या यह माना जा सकता है कि एनसी को गठबंधन का नुकसान हुआ है? इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस खुद इस नतीजे से खुश नहीं होगी. 


उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर के अलावा हरियाणा के नतीजे और ज्यादा बड़ा झटका बने. अब कांग्रेस को बैठ कर इन नतीजों का हिसाब-किताब करें और महाराष्ट्र-झारखंड के चुनाव से पहले अगर सुधार की गुंजाइश दिखती है तो वह कर लेंगे."


NC का वोट शेयर बीजेपी से कम
बीजेपी का वोट शेयर नेशनल कांफ्रेंस से ज्यादा रहा. इस पर उमर अब्दुल्लाह ने कहा, "अगर हमने जम्मू में अपने उम्मीदवार खड़े किए होते और कांग्रेस को अपनी सीटें न दी होतीं, तो हमारा वोट शेयर बीजेपी से ज्यादा होता, लेकिन वोट शेयर की बात वो लोग करते हैं जो हुकूमत बनाने के काबिल नहीं होते. हमारा स्ट्राइक रेट 75 फीसदी रहा जबकि बीजेपी का केवल 40 फीसदी था."


कैसा रहेगा केंद्र के साथ संबंध
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार बन रही है. अब जम्मू-कश्मीर सरकार का केंद्र सरकार के साथ कैसा संबंध होगा? इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, "रिश्ते एक तरफ से नहीं बनते. कोशिश यही की जाएगी कि एक अच्छा माहौल बने. ये नहीं कह सकते कि हम अचानक बीजेपी की सियासत को पसंद करने लगेंगे या वह हमारे तरीकों को अपना लेंगे. बीजेपी और नेशनल कांफ्रेंस में टक्कर तो रहेगी ही, लेकिन कोशिश रहेगी कि माहौल ठीक बना रहे और दोनों सरकारें मिलकर जम्मू-कश्मीर के भले के लिए काम करें."


केंद्र से कैसे रहेंगे जम्मू-कश्मीर सरकार के रिश्ते?
केंद्र शासित प्रदेश में सरकार की पावर लिमिटेड होती हैं. वहीं, उप राज्यपाल से भी कुछ तनाव बना रहता है. सबसे पहला मुद्दा जो सामने आएगा, वह होगा एलजी द्वारा मनोनीत किए जाने वाले कैंडिडेट्स. इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि इन मनोनीत सदस्यों का इस्तेमाल न ही हो, क्योंकि इसका कोई फायदा नहीं है. अगर इन पांच सदस्यों के जरिए सरकार पलट सकती, तो फिर भी इन्हें किया जा सकता था. 


उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि अगर निर्दलीय सदस्यों में से चार-पांच भी एनसी के साथ आ जाते हैं, पार्टी की संख्या बढ़ जाएगी और एलजी द्वारा चुने गए सदस्य केवल विपक्ष में ही बैठ सकेंगे. 


अनुच्छेद 370 पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला?
अनुच्छेद 370 को लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह इस मुद्दे को जिंदा रखेंगे. ये मुद्दा एनसी के लिए राजनीतिक मुद्दा है. यह पार्टी की राजनीतिक विचारधारा है और वह इससे जुड़े हुए हैं. 


यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में मुफ्ती का अस्तित्व खतरे में! पिछले चुनाव तक थी सबसे बड़ी पार्टी, अब मिलीं केवल 3 सीट