Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर विधानसभा में सीएम उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि ''जम्मू कश्मीर के बाऱे में कभी- कभी में सोचता हूं हम कहां पर थे, इन 6 सालों के बाद इतना कुछ बदला, हमें यकीन नहीं होता हमारा अपना झंडा था, हमारा अपना संविधान था, हमारा अपना राज्य रहा, वह सब कुछ हमसे छीन लिया गया. उस बात का हमें बहुत अफ़सोस है.''


उमर ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने पर कहा, '''जम्मू कश्मीर विधानसभा में यहां के लोगों की आवाज सुनाई देगी. उनके मसलों को हल करेगी.  हमारी हुकूमत जम्मू कश्मीर के लोगों की हुकूमत है. हम उम्मीद नहीं कर रहे थे कि यहां पर चुनाव होगा. हमें लग रहा था कि चुनाव को टाल दिया जाएगा. यहां भी बहुत लोग थे जो नहीं चाहते थे कि यहां चुनाव हो, वह नहीं चाहते थे की यहां विधानसभा चले.''


स्पीकर की कुर्सी को फुटरेस्ट बनाया गया - उमर


उन्होंने आगे कहा, ''मुझे बहुत निराशा हुई जब मैंने देखा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा को फिल्म के सेट के रूप में इस्तेमाल किया गया. जम्मू विधानसभा परिसर को डिजिटलीकरण के काम के लिए सरकारी कर्मचारियों को सौंप दिया गया. स्पीकर और सदस्यों की कुर्सी का इस्तेमाल फुटरेस्ट के रूप में किया गया. उन्हें लगा था कि विधानसभा कभी नहीं बैठेगी लेकिन वे गलत थे.''


बुरे दिन बीत चुके हैं - उमर


उमर ने 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद अपने और अन्य राजनेताओं का अपमान होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सबसे बुरे दिन अब बीत चुके हैं और चीजें बदल गई हैं. मैं पीछे मुड़कर नहीं देखूंगा, बल्कि मैं अंतिम मंजिल की ओर आगे की ओर देख रहा हूं. आखिरकार हमारी खता क्या थी ,क्या हमने यहां मुल्क के झंडे को कायम और दायम रखा, क्या हमारी खता यह थी कि हमने कहा कि यहां जो होगा यहां के संविधान के दायरे में होगा. हमने यहां चुनाव लड़ा. खुदा न खास्ता हमने मुल्क के खिलाफ कोई बगावत नहीं की लेकिन वो दौर कुछ और था. 


जम्मू-कश्मीर के लोगों को 5 अगस्त का फैसला नहीं मंजूर- उमर


उमर ने विशेष दर्जे को लेकर लाए गए प्रस्ताव पर कहा, ''हमारा प्रस्ताव साबित करता है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 5 अगस्त के फैसले को स्वीकार नहीं किया है और केंद्र सरकार द्वारा उन्हें खारिज या नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. जो लोग कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा शक्तिहीन है, उन्हें घर जाकर बैठ जाना चाहिए.


उन्होंने कहा कि अगर हमारा प्रस्ताव समझौता वाला होता तो प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री अपने भाषणों में इसका जिक्र नहीं करते. हमें केंद्र की इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन चीजें बदलेंगी और सरकारें बदलेगी और हम भविष्य में अपने राज्य के विशेष दर्जे को वापस पाएंगे.


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