Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में मुहर्रम (Muharram) के अवसर पर तीन दशक से अधिक समय के बाद पारंपरिक मार्ग यानी लाल चौक (Lal Chowk) से होते हुए जुलूस निकालने की अनुमति दी गई है. सरकार के इस फैसले का नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने गुरुवार को स्वागत किया है. उमर अब्दुल्ला ने साथ ही हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक (Mirwaiz Umar Farooq) को नजरबंदी से निकालने और जामिया मस्जिद में नमाज अदा करने देने की भी मांग की है.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. इस वक्त हम यह आशा करते हैं कि सरकार और दूसरे कदम भी उठाएगी. मीरवाइज उमर फारूक धार्मिक नेता हैं और उन्हें रिहा किया जाना चाहिए. बिना किसी प्रतिबंध के जामिया मस्जिद में नमाज की इजाजत मिलनी चाहिए. बता दें कि सुबह-सुबह मुहर्रम के जुलूस के कारण श्रीनगर शहर में भारी ट्रैफिक जाम था जिस वजह से नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को गुप्कर रोड स्थित अपने आवास से कार्यालय नवा-ए-सुबह तक पैदल ही जाना पड़ा. उन्होंने कहा, ''मैंने सोचा कि पैदल ही कार्यालय जाना बेहतर होगा क्योंकि मेरे सुरक्षा वाहनों की मौजूदगी से लोगों को अधिक असुविधा होती.''
चुनाव पर यह बोले उमर अब्दुल्ला
वहीं जब जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराए जाने को लेकर जब पूछा गया तो पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी मतदाताओं का सामना करने से डरती है. चुनाव आयोग ने खुद कहा है कि जम्मू-कश्मीर में एक शून्य पैदा हो गया है जिसे भरने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमने उनसे कहा कि अगर आप विधानसभा चुनाव अलग से नहीं करा सकते तो लोकसभा चुनाव के साथ ही करा लें. बता दें कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. विपक्षी पार्टियां यहां चुनाव कराने की मांग कर रही हैं लेकिन बीते चार साल से यहां चुनाव नहीं कराए गए हैं.
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