लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. उत्तर से लेकर दक्षिण तक तो पूरब से लेकर पश्चिम तक देश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. दावों और दावों की काट निकाली जा रही है. इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी 2024 के आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है क्योंकि चुनाव जीतना उतना आसान नहीं होगा जितना वह दिखाना चाहती है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने मंगलवार (11 जुलाई) को आरोप लगाया कि पिछले पांच-आठ वर्षों में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ दोस्ती का कहीं भी सम्मान नहीं किया लेकिन अब मजबूरी में मेल-मिलाप की कोशिश कर रही है.


यूसीसी पर बोले उमर अब्दुल्ला


समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी को अपना एजेंडा तय करने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस बीजेपी के एजेंडे का समर्थन नहीं करती, लेकिन अगर ऐसा कोई कानून लागू किया जाता है तो किसी भी समुदाय के लिए कोई छूट नहीं होनी चाहिए, यहां तक कि आदिवासियों के लिए भी नहीं. बीजेपी द्वारा यूसीसी जैसे मूल ‘मुद्दे’ उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि बीजेपी किस तरह से राजग को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है. यह इस बात का प्रमाण है कि बीजेपी को लगता है कि जमीनी हालात उसके पक्ष में नहीं है.’’


बीजेपी मजबूरी में दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है- उमर अब्दुल्ला


उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘एक-एक करके, उसके दोस्त चले गए. उनके सबसे पुराने दोस्त जैसे कि शिवसेना या अकाली दल या अन्य पार्टियां. इसलिए, जो बदलाव हुआ है वह यह कि बीजेपी मजबूरी में दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है ताकि राजग को फिर से मजबूत किया जा सके.’’ उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में बीजेपी चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) से बात कर रही है और पंजाब में अकाली दल को वापस गठबंधन में लाने की कोशिश कर रही है.


इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘वे महाराष्ट्र में शिवसेना से बात कर रहे हैं. इसलिए, बीजेपी के मूल एजेंडे को छोड़ दें, बीजेपी जिस आधार को अपने पक्ष में बताती है, वास्तविकता यह है कि 2024 (चुनाव) उनके लिए उतना आसान नहीं होगा जितना वे आपके (मीडिया) माध्यम से लोगों को दिखाना चाहते हैं.’’


पूर्व सीएम ने कहा कि यूसीसी के बारे में अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है, इसलिए विरोध या समर्थन करने जैसा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास पहले दस्तावेज या प्रस्ताव जैसा कुछ होना चाहिए. चूंकि अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है इसलिए हम सिर्फ हवा में बातें कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रस्ताव आने दीजिए, उसे संसद में पेश होने दीजिए, फिर अगर कोई बात किसी समुदाय के खिलाफ होगी तो हम उसका विरोध करेंगे. लेकिन, जब कोई प्रस्ताव ही नहीं है तो हम विरोध क्या करेंगे?’’


'हम बीजेपी के एजेंडे का समर्थन नहीं करते'


उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मीडिया इस पर चर्चा कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शायद अपने एक भाषण में यूसीसी के बारे में कहा था कि ऐसा होना चाहिए. लेकिन, कोई एजेंडा नहीं है, कोई प्रस्ताव नहीं है. हां, यह बीजेपी का एजेंडा है और हम बीजेपी के एजेंडे का समर्थन नहीं करते हैं.’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर यूसीसी को लागू किया जाता है तो यह एक समान और सभी के लिए होना चाहिए.


आगे उन्होंने कहा, ‘‘एक समान का मतलब है सबके लिए एक समान. अगर आप बाकी को एक-एक करके निकाल रहे हैं तो इसका क्या मतलब है? क्या यह केवल एक समुदाय के लिए है? कहीं ऐसा तो नहीं कि ये सिर्फ मुस्लिम के पर्सनल लॉ में बदलाव के लिए है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह एक समान है तो इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए. यदि आप किसी को भी छूट देते हैं, चाहे वह ईसाई हो या दलित या आदिवासी या सिख तो यह स्पष्ट है कि मुसलमान न केवल छूट मांगेंगे बल्कि छूट हासिल भी करेंगे.’’


क्या विपक्षी दलों की अगली बैठक में शामिल होंगे?


इस सवाल पर कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस 17 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की आगामी बैठक में शामिल होगी, अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी का बैठक में जाने का इरादा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के भीतर फूट के मुद्दे पर अब्दुल्ला ने कहा कि यह प्रक्रिया जारी है और जारी रहेगी. हालांकि, अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि विभाजन से एनसीपी प्रमुख शरद पवार राजनीतिक रूप से कमजोर होंगे.


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