Jammu kashmir Assembly Election 2024: जम्मू और कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने में विलंब को न्यायोचित ठहराने का आधार आतंकी हमलों में बढ़ोतरी को नहीं बनाया जा सकता. ये चुनाव वर्ष 1996 में तब भी कराए गए थे, जब आतंकवाद अपने चरम पर था.


 उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कह रहे हैं कि स्थिति खराब हो गई है, इसलिए चुनाव नहीं होने चाहिए. आपको क्या हो गया है? क्या हम इतने कमजोर हैं या हालात इतने खराब हो गए हैं कि चुनाव होने के आसार नहीं हैं? हमने 1996 में चुनाव कराए थे और आपको यह बात माननी होगी कि उस समय और आज के हालात में जमीन-आसमान का अंतर है.’’


'सेना के बलिदान को न करें नजरअंदाज'


जम्मू और कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘जो लोग चुनाव (जम्मू-कश्मीर में) नहीं कराना चाहते हैं, उन्हें बताना चाहिए कि हम बंदूकधारी ताकतों के सामने झुक रहे हैं और अपनी हार स्वीकार कर रहे हैं. इसके अलावा, अपनी सेनाओं के बलिदान को नजरअंदाज कर रहे हैं. आप हमारे दुश्मनों से कह दीजिए कि हम बिना लड़े ही हथियार डाल देंगे.’’  


उमर अब्दुल्ला के मुताबिक अगर आप ऐसी ताकतों के सामने झुकना चाहते हैं तो (विधानसभा) चुनाव न कराएं. हमें कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि यह चुनाव उच्चतम न्यायालय के आदेश पर हो रहा है, जिसने 30 सितंबर की समय सीमा तय की है.’’ 


नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सांबा जिले के गुरहा सलाथिया में एक सार्वजनिक रैली के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘आपने उच्चतम न्यायालय में कहा कि स्थिति विधानसभा चुनाव कराने के लिए अनुकूल नहीं हैं. हम उन ताकतों के सामने झुक रहे हैं जिन्होंने पिछले तीन सालों में हमारे 55 बहादुर जवानों को शहीद कर दिया.


अगर आप उनके बलिदानों को नजरअंदाज और बर्बाद करना चाहते हैं, तो हम चुपचाप फैसले को सहन कर लेंगे क्योंकि हम और कुछ नहीं कर सकते.’’ उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में ऐसी ताकतें हैं जो दोनों देशों के बीच दोस्ताना रिश्ते नहीं चाहतीं.  


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