जम्मू-कश्मीर चुनाव: इल्तिजा मुफ्ती ने दाखिल किया नामांकन, BJP और NC के इन नेताओं से मुकाबला
Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में बिजबेहरा सीट पर PDP की इल्तिजा मुफ्ती मैदान में हैं. उनके सामने बीजेपी के सोफी यूसुफ और नेशनल कांफ्रेंस के डॉ. अहमद वीरी खड़े हैं.
Bijbehara Assembly Election 2024: जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और इसके लिए राजनीति पूरी तरह से एक्टिव हो गई है. पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस, बीजेपी और कांग्रेस ने कई विधानसभा सीटों के लिए अपने-अपने जिताऊ उम्मीदवारों का चयन कर लिया है और आज (मंगलवार 27 अगस्त) पहले चरण के नामांकन का अंतिम दिन है.
इसी बीच जनता की नजर जम्मू की वीआईपी सीट बिजबेहरा पर टिकी हुई है. ये सीट खास इसलिए भी है क्योंकि यहां से महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती राजनीति में कदम रखने जा रही हैं. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं. अब उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती की विरासत संभालने के लिए राजनीति में प्रवेश कर रही हैं.
इल्तिजा मुफ्ती के सामने BJP और NC उम्मीदवार
पीडीपी उम्मीदवार इल्तिजा मुफ्ती का मुकाबला सीधे तौर पर बीजेपी और नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवारों से है. नेशनल कांफ्रेंस की ओर से डॉ. बशीर अहमद वीरी और बीजेपी की तरफ से सोफी यूसुफ इल्तिजा के सामने चुनावी मैदान में हैं.
इल्तिजा मुफ्ती के पास हैं ये जिम्मेदारियां
जानकारी के लिए बता दें, 35 वर्षीय इल्तिजा मुफ्ती अपनी मां की पार्टी पीडीपी में सक्रिय भूमिका निभाती हैं. फिलहाल, वह पीडीपी की मुख्य मीडिया एडवाइजर की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. सूत्रों का मानना है इल्तिजा मुफ्ती के चुनाव जीत जाएं तो महबूबा पार्टी संरक्षक की भूमिका संभालना चाहती हैं.
पीडीपी के लिए खास है बिजबेहरा सीट
गौरतलब है कि पिछले तीन दशक से बिजबेहरा सीट मुफ्ती परिवार का गढ़ है. यहां साल 1996 में पहली बार महबूबा मुफ्ती ने चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा. इसके बाद साल 1999 में पीडीपी का गठन करने के बाद से ये सीट पीडीपी के पास ही है. इससे पहले महबूबा मुफ्ती के पिता मोहम्मद सईद ने साल 1967 में इसी सीट से जीत पाई थी.
इसी के साथ अब इल्तिजा मुफ्ती अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी होंगी, जो बिजबेहरा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. ये विधानसभा चुनाव इल्तिजा और पीडीपी दोनों के लिए जरूरी नजर आ रहा है. अब 4 अक्टूबर को नतीजों के दिन साफ हो जाएगा कि क्या इल्तिजा मुफ्ती अपनी मां की विरासत बचा पाएंगी या नहीं?
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