Jammu Kashmir Politics: यात्रा में दिया साथ, क्या चुनाव में भी मिलाएंगे हाथ, कश्मीर में कांग्रेस, PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस का रुख क्या होगा?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को समाप्त हो गई. इसमें उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती शामिल हुईं. विधानसभा और लोकसभा चुनावों में तस्वीर कैसी होगी, इस पर सबकी नजरें होंगी.
Jammu-Kashmir Politics: जिस कश्मीर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को समाप्त हुई है, वहां की सियासी जमीन पर अभी हल चलना बाकी है. जम्मू-कश्मीर को विधानसभा चुनावों का इंतजार है. अगले साल देश में लोकसभा चुनाव भी होने हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में बीजेपी से खार खाए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला शामिल हुए. आने वाले दिनों में ये दोनों नेता क्या फैसला लेते हैं, इस पर सबकी नजरें होंगी. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ देने के बाद 'कमजोर' हो चुकी कांग्रेस को इनका साथ मिल सकता है.
दोनों बीजेपी से दुखी और कश्मीरियत की बात पर एकमत
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दोनों जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने से प्रदेश में राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं. दोनों अपने दर्द का पहले ही बयान कर चुके हैं. अनुच्छेद 370 के हटाने की बात पर महबूबा मुफ्ती के बयान किसी से नहीं छिपे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि जम्मू- कश्मीर में भारत का झंडा उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा. पिता की मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहीं महबूबा ये बयान देने पहले वैचारिक रूप से धुर विरोधी बीजेपी के सहयोग से सरकार बना सकती हैं तो आने वाले दिनों में उमर अब्दुल्ला से हाथ मिला लें और कश्मीरीयत की दुहाई देते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.
बीजेपी से गठबंधन कर सीएम रह चुकीं महबूबा को उमर से नहीं होगा परहेज?
महबूबा मुफ्ती वर्ष 2016 तक जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री रही थीं. उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. महबूबा को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में अपना भविष्य पहले ही दिख गया था. उन्होंने इस यात्रा में शामिल होने का पहले ही ऐलान कर रखा था, लेकिन उनके एक दिन पहले ही बगैर घोषणा किए उमर अब्दुल्ला राहुल गांधी की यात्रा में शामिल हो गए. कांग्रेस के साथ जम्मू- कश्मीर में सरकार बना चुके उमर ने यात्रा में शामिल होने से पहले कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू- कश्मीर से राज्य का दर्जा नहीं छीनना चाहिए था. इसके साथ ही उन्होंने शालीनता के साथ यह भी कहा कि अनुच्छेद 377 का मामला वह कोर्ट में जाकर निबटेंगे.
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं होने का मुद्दा भी उठाया. केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे ये फिलहाल तय तो नहीं है लेकिन सियासत हर वक्त चलने वाला कारोबार है. लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में महबूबा और उमर अब्दुल्ला कांग्रेस के साथ आएंगे या नहीं, ये देखना भी दिलचस्प होगा. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में बने गुपकार गठबंधन में उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) शामिल है.
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