Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस ने 1931 के शहीदों की याद में और पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती को छुट्टियों की सूची में शामिल नहीं करने पर उपराज्यपाल के फैसले पर निराशा व्यक्त की है. NC के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने रविवार देर रात ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज की छुट्टियों की सूची और निर्णय कश्मीर के इतिहास और लोकतांत्रिक संघर्ष के प्रति बीजेपी की उपेक्षा को दर्शाता है."


उन्होंने कहा, "अमर अबदुल्ला ने 370 निरस्त होने के बाद कहा था, जो छुट्टियां सूची से हटाई गई हैं, उनको बहाल किया जाएगा. इसको लेकर राज्यपाल के फैसले पर अब नेशनल कांफ्रेंस संतुष्ट नहीं है."


उमर अब्दुल्ला ने दिया था संकेत


मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस महीने की शुरुआत में संकेत दिया था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद हटाई गई छुट्टियां को  बहाल किया जाएगा.


छुट्टियों को सूची में शामिल करने की थी उम्मीद- साादिक 


सादिक ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और 13 जुलाई के शहीदों और नेताओं की याद में छुट्टियां शामिल की जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं होने से उनका महत्व या हमारी विरासत कम नहीं होगी. ये छुट्टियां एक दिन फिर से शुरू की जाएंगी. वर्ष 1931 में डोगरा महाराजा के सैनिकों की गोलियों से शहीद हुए 23 सैनिकों की याद में 13 जुलाई को जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक छुट्टी रहती थी, जबकि पांच दिसंबर को नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला की जयंती के उपलक्ष्य में सार्वजनिक अवकाश होता था."


LG द्वारा दोनों छुट्टियों को कर दिया गया था समाप्त


साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा दोनों छुट्टियों को समाप्त कर दिया गया था. उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा 2025 के लिए घोषित सार्वजनिक अवकाशों की सूची में इन दोनों दिनों को शामिल नहीं किया गया है.


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