Jammu Kashmir News: शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की 119वीं जयंती की पूर्व संध्या पर जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार और राजभवन के बीच नई खींचतान शुरू हो गई है. जयंती पर सार्वजनिक अवकाश को बहाल करने की मांग की जा रही है. पंपोर विधायक सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हसनैन मसूदी ने कहा, "मंत्रिपरिषद दिवंगत शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती के उपलक्ष्य में 5 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश बहाल करने का प्रस्ताव उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को औपचारिक रूप से देगी." उन्होंने कहा कि अगले साल के लिए समय पर अवकाश बहाल कर दिया जाएगा.
2020 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने शेख अब्दुल्ला के जन्मदिन और शहीद दिवस (13 जुलाई) सहित दो छुट्टियों को रद्द कर दिया था, जबकि विलय दिवस (26 अक्टूबर) और पूर्व जम्मू-कश्मीर शासक हरि सिंह के जन्मदिन को जोड़ा था. हालांकि चुनाव जीतने के बाद अब नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार चाहती है कि 5 दिसंबर को अवकाश घोषित किया जाए.
शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी की मांग
बनिहाल से एनसी विधायक सज्जाद शाहीन ने कहा, "आधिकारिक कैलेंडर से इन तिथियों को हटाना जम्मू-कश्मीर के इतिहास को फिर से लिखने के एक बड़े एजेंडे का हिस्सा है. ये दिन सिर्फ छुट्टियां नहीं हैं, बल्कि हमारे सामूहिक संघर्षों और आकांक्षाओं को श्रद्धांजलि हैं."
नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार और राजभवन में खींचतान
बिजबेहरा से एनसी विधायक बशीर अहमद वीरी ने रद्द की गई छुट्टियों को बहाल करने की मांग करते हुए कहा कि अगर बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार इस फैसले को स्वीकार नहीं करती है, तो पार्टी को अन्य उपाय करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. बशीर अहमद वीरी ने कहा, "सांप्रदायिक सरकार जम्मू को कश्मीर के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम लोगों की आकांक्षाओं के साथ हैं."
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर के लोग एक बार फिर इस महत्वपूर्ण दिन को पूरी गरिमा और सम्मान से मनाएंगे. हालांकि, सूत्रों ने कहा है कि एलजी के नेतृत्व वाली सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि छुट्टियों के कैलेंडर में कोई संशोधन नहीं किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से आने वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया जाएगा.
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