Jammu : केंद्रीय बजट में जम्मू-कश्मीर की उपेक्षा की गई है और बढ़ती कीमतों व बेरोजगारी से निपटने के लिए इस बजट में कोई रोडमैप नहीं है. ये बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) ने बुधवार को कही. पीसीसी के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने एक बयान में कहा कि बजट बीजेपी सरकार की आर्थिक नीतियों से सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे व्यापारियों के अलावा गरीबों, बेरोजगार युवाओं और किसानों के लिए कोई अच्छी खबर नहीं लाया है.


बेरोजगारी खत्म करने का नहीं है कोई रोड मैप 


उन्होंने कहा कि बजट में बढ़ती कीमतों, बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और किसानों जिस तरह के आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं उससे निपटने के लिए कोई रोडमैप नहीं है.उन्होंने कहा कि जम्मू- कश्मीर पिछले तीन वर्षों से पीड़ित है और बजट में इसकी उपेक्षा की गई है. पीसीसी प्रवक्ता ने कहा कि यहां तक कि मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी भी नहीं बढ़ाई गई है.


किसानों के लिए नहीं है कोई राहत 


मध्यम वर्ग को एक छोटी सी कर छूट के अलावा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, दिहाड़ी मजदूरों और मजदूर वर्ग के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है. जिन किसानों से उनकी आय दोगुनी करने का वादा किया गया था, वे घोर आर्थिक संकट में हैं और बजट में उनके लिए कोई राहत नहीं है. इस बीच, जम्मू स्थित फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज (एफओआई) ने केंद्रीय बजट को 'उद्योग अनुकूल' और जम्मू-कश्मीर में समाज के सभी वर्गों के लिए फायदेमंद बताया.


जम्मू स्थित एफओआई किया बजट का स्वागत


एफओआई ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में एमएसएमई क्षेत्र के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र के तेजी से विकास के प्रस्तावों का स्वागत करते हैं. हालांकि, उद्योग निकाय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से औद्योगिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पिछले साल जनवरी में की गई 28,400 करोड़ रुपये के औद्योगिक पैकेज की घोषणा आधार पर पर्याप्त धनराशि मुहैया करने का अनुरोध किया, उस पैकेज में केंद्र शासित प्रदेश में समयबद्ध तरीके से औद्योगिक एस्टेट को पूरा करना शामिल है. 


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