Vaishno Devi Temple : क्या है वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास, अर्द्धकुमारी और भैरवनाथ मंदिर को लेकर ये है मान्यता
Vaishno Devi Temple : साल 1986 में बना था माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड, अर्द्धकुमारी, वैष्णों माता मंदिर और भैरवनाथ बाबा मंदिर के बारे में ऐसी है मान्यता.
Vaishno Devi Temple : वैष्णों देवी हिंदुओं का प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है, जो समुद्र तल से करीब 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. हिंदुओं के इस प्रसिद्ध धार्मिक स्थल की दूरी कटरा से करीब 14 किमी है. यह धार्मिक स्थल जम्मू के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है, ऐसे में वैष्णों माता के इस पवित्र धर्म स्थल पर दर्शन के लिए जाने वाले यात्रियों को ये 14 किमी की दूरी समतल न चल कर पहाड़ पर ऊपर की ओर चलनी पड़ती है. हालांकि पहले पैदल न जाने वालों के लिए खच्चर और पालकी की व्यवस्था थी. अब इन दोनों साधनों के साथ ही हेलिकॉप्टर और बैटरी रिक्शा की भी व्यवस्था है.
क्या है वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड
वैष्णों देवी के मंदिर के देख रेख का जिम्मा माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के पास है. इस बोर्ड का गठन साल 1986 में किया गया था. ये बोर्ड दान में मिले पैसे से वहां की सुविधाओं के अलावा रखरखाव का काम देखता है. श्राइन बोर्ड के द्वारा ही मंदिर की साफ सफाई से लेकर विकास कार्यों तक के खर्च किए जाते हैं.
खास है वैष्णों देवी मंदिर को लेकर ये बातें
वैष्णों माता का मंदिर गुफा में है. बताया जाता है कि माता इसी गुफा में निवास करती थीं. त्रिकुटा की पहाड़ी पर स्थित इस गुफा में जिस जगह माता निवास करती थीं उस गुफा की लंबाई करीब 98 मीटर है. गुफा में माता एक चबुतरा बना हुआ है. जिसपर एक साथ तीन मुर्तियां बनी हुई हैं. जिसमें दाएं देवी काली, बीच में लक्ष्मी और बाएं सरस्वती माता विराजमान करती हैं.
अर्द्धकुमारी और भैरवनाथ मंदिर को लेकर ये मान्यता
वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले यात्री अर्द्धकुमारी के मंदिर से होकर जाते हैं. जो कि वैष्णों देवी जाने वाले मार्ग में वैष्णों देवी मंदिर और कटरा के करीब बीच में ही है. यहां पर माता वैष्णों की चरण पादुका स्थित है. मान्यता है कि माता वैष्णों देवी ने भागते-भागते इसी जगह से भैरव को मुड़कर देखा था. जिसके बाद पीछा कर रहे भैरव को वापस जाने के लिए कहा और लौटकर वापस अपनी गुफा में चली गईं. बाद में भैरव नहीं माना तो माता ने उसका सर धड़ से अलग कर दिया. जो माता की गुफा से तीन किमी ऊपर के ओर जाकर गिरा. जहां अब भैरवनाथ बाबा का मंदिर स्थित है.
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