Jammu Kashmir Latest News: जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में इन दिनों यहां की जनता लोकतंत्र का उत्सव मना रही है. इस चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है और अभी दो फेज की वोटिंग होनी है. ऐसे में हम आपको सियासी गलियारों के साथ-साथ कभी आतंकियों का गढ़ रहे राजौरी की बेटी रुखसाना कौसर की बहादुरी की दास्तान इस खबर में बताएंगे.
दरअसल, यह बात 15 साल पुरानी है. साल 2009 में सितंबर के महीने में राजौरी के शाहदरा शरीफ गांव में रुखसाना के घर में चार-पांच आतंकी घुस आए थे. आतंकियों ने रुखसाना के मां-बाप को बुरी तरह पीटा और उसे अपने साथ ले जाने के लिए कहा. इस पर रुखसाना ने बहादुरी दिखाते हुए आतंकियों पर हमला किया और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर को मौत के घाट उतार दिया.
क्या है पूरा मामला?
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2009 को 27 सितंबर को शाहदरा शरीफ गांव की सबसे ऊंची पहाड़ी पर नूर हुसैन के घर में उनकी पत्नी में रशीदा बेगम ने शौहर नूर ने बेटा एजाज अहमद और बेटी रुखसाना को रात करीब आठ बजे खाने के लिए बुलाया और सभी ने एक साथ खाना खाया. इसके बाद रात के 9.30 बजे होंगे तभी दरवाजे पर किसी ने आवाज दी. बाहर तीन-चार लोग दरवाजा खोलने के लिए आवाज दे रहे थे. इस बीच नूर हुसैन को समझ आ गया कि गए कि दरवाजे पर आतंकवादी हैं, इसलिए उन्होंने दरवाजा नहीं खोला.
वहीं थोड़ी देर बाद दरवाजे पर फिर किसी ने दस्तक दी. इस बार आतंकियों ने नूर हुसैन के भाई को साथ लाए थे और उसे जान से मारने की धमकी दे रहे थे. इस वजह इस बार नूर हुसैन को दरवाजा खोलना पड़ा और दरवाजा खुलते ही तीन-चार आतंकी घर में घुस गए. घर में घुसते ही लश्कर-ए-तैयबा कमांडर अबू ओसामा ने 20 साल की रुखसाना के बारे में पूछा. उसने रुखसाना को अपने साथ ले जाने की बात कही. यह सुनकर नूर हुसैन और रशीदा आतंकियों के सामने हाथ-पैर जोड़ रहे लगे, लेकिन वो उन्हें बुरी तरह पीट रहे थे.
घर के किसी कोने में छिपी रुखसाना ये सब सुन रही थी और उसे समझ आ गया कि अगर वो बाहर नहीं आई, तो उसके मां-बाप मारे जाएंगे. ऐसे में उसने छिपने की बजाए बाहर आना सही समझा. जब रुखसाना आतंकियों के सामने आई तो अबू ने उसे थप्पड़ मारा. इस बीच अबू ओसामा ने जैसे ही रुखसाना की तरफ पीठ की तो उसने पास रखी कुल्हाड़ी से उसपर हमला कर दिया और वह वहीं गिर गया.
इसी दौरान रुखसाना ने बहादुरी दिखाते हुए अबू की AK-47 उठाकर उसके ऊपर गोलियों की बौछार कर दी, जिससे वह मौके पर ही मर गया. इस पूरी घटना के बाद नूर हुसैन का पूरा परिवार थाने गया और डीजी कुलदीप हुड्डा को पूरा वाकया बताया. उन्होंने अबू ओसामा की AK-47 और कुल्हाड़ी थाने में जमा करा ली. बता दें लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर अबू ओसामा उन दिनों आर्मी और पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड आतंकी था. उसने फौज और पुलिस के कई अधिकारियों को मौत के घाट उतारा था.