Congress On Omar Abdullah Government: विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ लड़ी कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला क्यों किया? ये सवाल सियासी गलियारों में उठने लगे हैं. इस बीच जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने सफाई में कहा कि कांग्रेस पार्टी जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल में तब तक शामिल नहीं होगी, जब तक कि पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता. 


यह बयान फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के बीच दरार की सभी अटकलों पर विराम लगाने के लिए था, लेकिन इसके बजाय इस बयान ने नए सीएम उमर अब्दुल्ला और राहुल गांधी दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. 


क्यों शुरू हुई खींचतान?


कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की है कि वह राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए लड़ाई जारी रखेगी, लेकिन कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की स्थानीय इकाई के बीच असली खींचतान कैबिनेट बर्थ की मांग को लेकर पैदा हुई है.


बातचीत से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, कांग्रेस ने दो कैबिनेट विभागों के अलावा डिप्टी स्पीकर का पद और 2021 से खाली पड़ी 4 सीटों में से एक राज्यसभा सीट की मांग की थी. कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को मंत्री पद के मुद्दे पर असमंजस में डाल दिया.


नेशनल कॉन्फ्रेंस ने क्या कहा?


विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की है. उसे 6 निर्दलीय का भी साथ मिला है. इस चुनाव में कांग्रेस छह सीटें ही जीत सकी. ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस के कई नेताओं ने माना किमंत्री पद की मांग सीटों की संख्या के अनुरूप नहीं है.


बातचीत में शामिल नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक नेता ने कहा, "नेशनल कॉन्फ्रेंस एक कैबिनेट बर्थ, डिप्टी स्पीकर का पद और एक राज्यसभा सीट देने के लिए तैयार थी, लेकिन कांग्रेस के दो कैबिनेट बर्थ पर जोर देने से पूरी प्रक्रिया रुक गई." 


उन्होंने कहा, "इस बात की जानकारी कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को दे दी गई है और ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने स्थानीय नेताओं के बहकावे में आकर सरकार गठन को खतरे में न डालने के लिए इस समय मंत्रिमंडल में शामिल न होने का फैसला किया है." 


उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?


कांग्रेस के फैसले पर जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कुछ मुद्दे हैं जो कुछ दिनों में सुलझ जाएंगे, हमारे पास अभी भी तीन कैबिनेट सीटें खाली हैं जिन्हें भरा जाएगा. उनके बयान से यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस जल्द ही सरकार का हिस्सा होगी. 




हालांकि, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व पार्टी की स्थानीय इकाई के प्रदर्शन से खुश नहीं है, खासकर जम्मू क्षेत्र में जहां पार्टी मुस्लिम बहुल राजौरी से केवल एक सीट ही जीत पाई. कांग्रेस ने जम्मू क्षेत्र की 43 में से 40 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसे अब तक की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा. 


क्या महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव है वजह?


कांग्रेस के मूड का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया. इस दौरान अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर टिप्पणी करने से परहेज किया. 


कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने वाले हैं और जम्मू-कश्मीर सरकार से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की उम्मीद है, इससे कांग्रेस परेशान है." 


उन्होंने कहा कि इसे जम्मू-कश्मीर के बाहर पार्टी के खिलाफ एक बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. कांग्रेस अभी और चुनावी हार झेलने के मूड में नहीं है. उन्होंने कहा, "हम नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन में हैं और इंडिया गठबंधन एक बड़े उद्देश्य के लिए है. हम कैबिनेट पदों का त्याग कर सकते हैं."


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