झारखंड की सीमा कुमारी ने कभी बाल विवाह और शिक्षा के अधिकार के लिए मोर्चा खोला था. सालों पहले शुरू हुआ उनका ये सफर आज एक नये मुकाम पर पहुंचने वाला है. रांची की सीमा कुमारी को ग्लोबल स्टूडेंट्स अवॉर्ड की रेस में दौड़ रहे कंटेस्टेंट्स में से टॉप टेन में स्थान मिला है.


इस पुरस्कार के तहत किसी एक स्टूडेंट को एक लाख डॉलर यानी करीब 75 लाख रुपए के आसपास की धनराशि मिलेगी. विजेता की घोषणा 10 नवंबर को यूनेस्को हेडक्वॉर्टर में होगी.


आपकी जानकारी के लिए बता दें इसके पहले हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए सीमा को फुल स्कॉलपशिप भी मिल चुकी है.


ऐसा रहा सीमा का बचपन –


सीमा कुमारी का संघर्ष उनके बचपन से ही शुरू हो गया था. उनके माता-पिता अनपढ़ थे और खेती का काम करते थे. इसी बीच सीमा को युवा फुटबॉल टीम के रूप में एक अवसर दिखाई दिया. सीमा साल 2012 में युवा फुटबॉल टीम में शामिल हो गईं. यह खेल खेलने के साथ ही सीमा ने शिक्षा के अधिकार के लिए अपनी जंग जारी रखी. बाद में सीमा की चचेरी बहनें भी इस खेल का हिस्सा बनीं. सीमा ने साल 2015 में इसी मैदान में कोचिंग देना शुरू किया जिससे उनकी आमदनी बढ़ी.


बहुत से प्रतिभागियों को पछाड़ा है सीमा ने -


बता दें सीमा का चयन 94 देशों के 3500 कंटेस्टेंट्स के बीच हुआ है. सीमा ने सभी को कड़ी टक्कर देते हुए अपना स्थान सुनिश्चित किया है. चेग डॉट ओआरजी के इस पुरस्कार को लेकर सीमा बहुत उत्साहित हैं.


इसके पहले सीमा साल 2019 में कैनेडी-लुगर-यूथ एक्सचेंज एंड स्टडी प्रोग्राम के तहत देश की कुल चुनी गई 40 छात्राओं में से एक बनी थी. यहां से सीमा अमेरिका गईं और अच्छे अंकों से पास होने के कारण हावर्ड की स्कॉलरशिप पाने में कामयाब हुईं. 


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