झारखंड: कांग्रेस विधायकों के कैशकांड के बीच जानिए साल 1993 का झामुमो सांसद रिश्वतकांड, जब हिल गया था पूरा देश
1993 JMM Bribery Scandal: यह बात 1993 की है जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, उस समय जेएमएम पर आरोप लगे थे कि उन्होंने नरसिम्हाराव की सरकार को बचाने के लिए मोटी घूस ली थी.
Ranchi: पश्चिंम बंगाल का कैश कांड अभी थमा नहीं था कि झारखंड में भी एक ऐसा ही मामला सामने आ गया. इस बार कांग्रेस के विधायकों से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई है. तीनों विधयकों के पास से इतना कैश बरामद हुआ कि उसे गिनने के लिए मशीन तक मंगानी पड़ी. झारखंड में कैश कांड का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले साल 1993 में वर्तमान सीएम हेमंत सोरेने के पिता शिबू सोरेन समेत जेजेएम के चार विधायक भी इसी तरह के कैश कांड में फंसे थे, उस घटना को 1993 के सांसद घूसकांड के नाम से जाना जाता है. हेमंत सोरेन के पिता और जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन का नाम 1993 के सांसद घूस कांड में जोर-शोर से उछला था. शिबू सोरेन समेत जेएमएम के चार सांसदों पर आरोप लगा था कि उन्होंने तत्कालीन नरसिम्हाराव सरकार को बचाने के लिए मोटी घूस ली थी. उन पर आरोप था कि शिबू सोरेन और उनके तीन सांसद- शैलेंद्र माहतो, साइमन मरांडी और सूरज मंडल के घर सूटकेस भर-भर कर नोटों की गड्डियां पहुंची थीं.
सांसद घूसकांड की पूरी गाथा
वो 1993 का वक्त था, जब केंद्र में कांग्रेस की अल्पमत वाली नरसिम्हाराव की सरकार चल रही थी. 28 जुलाई 1993 को बीजेपी नरसिम्हाराव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई, सरकार का गिरना लगभग तय था, लेकिन जब संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो जेएमएम के सांसदों ने सरकार के पक्ष में और अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया और इस तरह कांग्रेस की सरकार बच गई. कांग्रेस की सरकार तो बच गई लेकिन नरसिम्हाराव सरकार पर सरकार बचाने ले लिए घूस देने के जो आरोप लगे उसके दाग कभी नहीं धुले. कांग्रेस पर आरोप लगा कि उसने सरकार को बचाने के लिए कुछ सांसदों को मोटी घूस दी है. यह घूसकांड भारत की राजनीति के इतिहास के पन्नों में अंकित हो चुका है.
वाजपेयी ने किया था घूसकांड को लेकर सनसनीखेज खुलासा
बात 1995 की है जब अटल बिहारी वाजपेयी ने इस घूसकांड का संसद के भीतर सनसनीखेज खुलासा किया था. वाजपेयी संसद के सभी सदस्यों के सामने जेएमएम के सांसद शैलेंद्र महतो को लेकर आए. शैलेंद्र महतो ने स्वीकार किया कि शिबू सोरेन समेत उनकी पार्टी के सांसदों ने कांग्रेस की सरकार को बचाने के लिए 50-50 लाख रुपए की घूस ली थी. इस खुलासे के बाद इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई गई. सीबीआई ने अपनी जांच में कुछ सनसनीखेज खुलासे किए.
चार्जशीट में सीबीआई ने किए थे चौंकाने वाले खुलासे
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया कि एक मारुति जिप्सी में सूटकेस भरकर रुपए लाए गए थे और कांग्रेस नेता सतीश शर्मा के फार्म हाउस पर हुई पार्टी में इन पैसों को जेएमएम सांसदों को बांटा गया. सीबीआई ने चार्जशीट में खुलासा किया कि कांग्रेस नेता बूटा सिंह ने 26 जुलाई 1993 को नरसिम्हाराव के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए जेएमएम के चार सांसदों से संपर्क किया था और इसके बाद उन चारों सांसदों को बूटा सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव से मिलवाने के लिए उनके सरकारी आवास 7 रेसकोर्स ले गए. बूटा सिंह ने खुद इस बात को स्वीकार किया था.
और इस तरह गिरते-गिरते रह गई नरसिम्हा राव की सरकार
जब संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो इस पक्ष में 251 जबकि विपक्ष में 265 वोट पड़े और इस तरह नरसिम्हा राव की सरकार बच गई. इस वोटिंग में जेएमएम के चार सांसदों के अलावा जनता दल और कुछ अन्य सांसदों ने सरकार के पक्ष में वोट किया.
सरकार बचने के बाद जेएमएम नेताओं पर बरसे थे नोट
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया कि 29 जुलाई की सुबह 8 बजे चार अनजान लोग जेएमएम सांसद सूरज मंडल के घर पहुंचे थे. सूरज मंडल के नौकर दारा रावानी की मदद से उन्होंने कार से सूटकेसों को निकाला और उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया. इस कमरे की चाभी सूरज मंडल के पास थी.
इसी तरह बारी बारी से जेएमएम के चारों सांसदों के यहां नोटों से भरे सूटकेस पहुंचाए गए.
इसके बाद शैलेंद्र माहतो और साइमन मरांडी अपने एक पुराने जान पहचान वाले शख्स आरके जेटली के घर पहुंचे और वहां जाकर नोटों को गिना गया. नोटों को गिनने के बाद चारों सूटकेसों को बंद कर दिया गया. इसके बाद करीब साढ़े तीन बजे वे लाग आरके जेटली के घर से बाहर निकल आए. उसी रात 9 बजे शिबू सोरेन, सूरज मंडल के घर पहुंचे और वहां से एक बैग और एक सूटकेस को अपने घर ले आए.
पीएनबी के खातों में डाली गई घूस की रकम
इस पूरी रकम को पीएनबी बैंक के खातों में डाला गया. अब मामला यह उठता है कि उन अकाउंट के बारे में कैसे पता चला, जिनमें घूस की रकम डाली गयी थी. सीबीआई ने बताया कि पीएनबी में एक खाता खुलने से घूस की रकम के बारे में जानकारी मिली. दरअसल सूरज मंडल के दोस्त थे सीए सुशील कुमार, जिन्होंने मंडल की मुलाकात दिल्ली के सरोजिनी नगर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के एक मैनेजर से करवाई. मैनेजर से समझौते के बाद सरोजिनी नगर के पीएनबी बैंक के खाता संख्या 17108 में पैसे डाले गए.
जेएमएम ने की घूस के पैसे को पचाने की कोशिश
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा कि जेएमएम ने घूस के इस पैसे को पचाने के कई तरीके अपनाए. इस पैसे को पार्टी फंड का नाम दिया गया. जेएमएम के नेताओं ने इस रकम को इधर-उधर भी निवेश किया. उन्होंने इस पैसे को पीएनबी से निकालकर दूसरे अकाउंट में भी ट्रांसफर किया ताकि रकम बंट जाए. इसके अलावा एक फर्जी प्रस्ताव भी पास किया गया जिसमें पार्टी सांसदों को दो प्रतिशत के ब्याज पर कर्ज देने का प्रावधान किया गया था. जेएमएम के सांसदों ने 100 रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक के फर्जी कूपन भी छपवाए, ताकि वे कह सकें कि उन्हें पार्टी फंड के लिए पैसे मिले हैं.
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