Jharkhand News: झारखंड के स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम (Alamgir Alam) की जमानत याचिका खारिज कर दी है. उनपर ग्रामीण विकास विभाग के टेंडर में कमीशन लेने का आरोप है. उन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया था. 


आलमगीर ने जून में पद से इस्तीफा दे दिया था और अपने इस्तीफे में लिखा था कि ''राज्य मंत्रिमंडल के मंत्री पद से मैं इस्तीफा दे रहा हूं. मंत्रिमंडल में एक सहयोगी के रूप में कार्य करने का जो अवसर मुझे दिया गया, उसके लिए मैं आभारी रहूंगा.'' इस्तीफे से पहले उनके सभी विभाग राज्य सरकार ने वापस ले लिए थे. वह संसदीय कार्य विभाग की भी जिम्मेदारी देख रहे थे. 


मई में हुई थी गिरफ्तारी
आलमगीर आलम को 15 मई को ईडी ने गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी से पहले आलमगीर के निजी सचिव संजीव लाला और घरेलू सहायक जहांगीर आलम के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी और कई करोड़ रुपये की बरामदगी भी हुई थी. संजीव के बारे में यह कहा गया था कि यह पैसों के कलेक्शन का काम करता था. गिरफ्तारी से पहले आलमगीर से लगातार दो दिन तक ईडी ने पूछताछ की थी. यह पूछताछ 14 घंटों तक चली थी. 


कमीशन के रूप में 1.5 करोड़ लेने का दावा
ईडी ने मई में कोर्ट को बताया था कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन मामले में एक संगठित गिरोह शामिल था. इस गिरोह में आलमगीर आलम, इंजीनियर और अन्य अधिकारी शामिल थे. ऐसा दावा किया गया था कि 25 टेंडर पर कमीशन के तौर पर 1.23 करोड़ रुपये लिए गए हैं. ईडी ने यह दावा भी किया कि 2023 के तत्कालीन चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम टेंडर के लिए कमीशन लेते थे. इनमें से 1.5 करोड़ रुपये की राशि आलमगीर आलम को दी जाती थी. 


आलमगीर आलम की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई थी जब सीएम हेमंत सोरेन को जनवरी में जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि हेमंत सोरेन को जून में जमानत मिल गई थी. 


ये भी पढ़ें- मनीष सिसोदिया की जमानत पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन का आया रिएक्शन, जानें क्या कहा?