Jharkhand: 'क्या चंपाई सोरेन आदिवासी नहीं थे?', अन्नपूर्णा देवी ने हेमंत सोरेन से पूछा तीखा सवाल
Jharkhand Politics: केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने चंपई सोरेन को सीएम के पद से हटाने को लेकर जेएमएम से तीखा सवाल पूछा है. अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि चंपई सोरेन तो जेएमएम के वफादार रहे हैं.
Jharkhand Politics News: झारखंड के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर चंपाई सोरेन ने हाल ही में सोशल मीडिया के जरिए अपना दुख जाहिर किया और यह आरोप लगाया गया था कि उनका अपमान किया गया. अब इस मामले में झारखंड के कोडरमा से सांसद और केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और हेमंत सोरेन से तीखा सवाल पूछा कि क्या चंपाई सोरेन आदिवासी नहीं थे?
अन्नपूर्णा देवी ने झारखंड दौरे पर पत्रकारों से बातचीत में मंगलवार को कहा, ''क्या वह (चंपाई) आदिवासी नहीं थे, क्या वह झारखंड के नहीं थे. क्या वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के वफादार साथी नहीं थे, तो इतनी हड़बड़ी क्या थी हेमंत सोरेन को. कहते थे कि पिता के साथ के हैं और चाचा के बराबर हैं. पिता सीएम रहे या चाचा रहे या भतीजा रहा, हड़बड़ी दिखाई तो चंपाई सोरेन ने अपना दर्द आम लोगों के बीच में जाहिर किया.''
Ranchi, Jharkhand: Union Minister Annapurna Devi reacts to Champai Soren and Hemant Soren, says, "What was the urgency for Hemant Soren? On one hand, he claims to be equal to his uncle, so why not let his uncle remain in position?"
— IANS (@ians_india) August 21, 2024
(Date: 20-08-2024) pic.twitter.com/wzqLHhktg3
बीजेपी जनसेवा का काम करती है- अन्नपूर्णा देवी
अन्नपूर्णा देवी ने आगे कहा, ''बीजेपी ऐसा कोई काम नहीं करती है. बीजेपी का लक्ष्य हमेशा जनसेवा और लोगों के लिए काम करने का रहा है. पार्टी सत्ता में रहती है तो आम जन के लिए काम करती है. आज बीजेपी के एक-एक कार्यकर्ता समाजसेवा और जनसेवा को लक्ष्य मानकर अपना काम करते हैं.''
चंपाई सोरेन ने कहा था- अंदर तक टूट गया हूं
चंपाई सोरेन ने दिल्ली दौरे पर 18 अगस्त को 'एक्स' पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा जिसमें उन्होंने सीएम पद से हटाए जाने और उनके कार्यक्रम को रद्द किए जाने का जिक्र करते हुए कहा था, ''क्या लोकतंत्र में इससे अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा. लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया. पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनीतिक सफर में, मैं पहली बार, भीतर से टूट गया. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.''