Jharkhand News: मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनका अपमान करने वाला मामला खूब जोर पकड़ा हुआ है. इस मुद्दे पर राजनीति भी हो रही है, विपक्षी पार्टियां केंद्र और राज्य सरकार पर लगातार हमलावर है. कांग्रेस (Congress) पार्टी हर राज्य में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है. इसी कड़ी में झारखंड की कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव ने रांची में मीडिया को सम्बोधित करते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने इस घटना के जिम्मेदार केंद्र सरकार को ठहराया है. झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने कांग्रेस के इस सम्बोधन की निंदा की है. उन्होंने तो कांग्रेस पर ही कई सवाल खड़े कर दिए.
बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस पर किया हमला
बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि, 'कुछ तो लाज लिहाज कीजिए. कल ही राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री को केवल इसलिए बर्खास्त कर दिया कि उन्होंने सदन में महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया. राजस्थान नहीं देखना चाहते हैं तो झारखंड ही देख लीजिए. आप लोगों की सरकार में आदिवासी बहन बेटियों का जीवन नर्क बन गया है. रुबिका पहाड़िया, अंकिता के लिए प्रेस कांफ्रेंस हुई थी? तब तो निर्लज्जता से आप लोग लीपापोती में लगे थे.'
सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं बाबूलाल मरांडी
बता दें, बाबूलाल मरांडी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. मरांडी समय-समय पर ट्वीट कर कांग्रेस पर हमला बोलते रहते हैं, साथ ही हेमंत सोरेन सरकार को भी घेरते रहते हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद बाबूलाल मरांडी सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव पाए जा रहे हैं.
मॉब लिंचिंग विधेयक पर क्या बोले बाबूलाल मरांडी
हाल ही में झारखंड में मॉब लिंचिंग विधेयक लाने के फैसले पर बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने सीएम हेमंत सोरेन पर जमकर हमला बोला था. दरअसल, बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा कि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी "मॉब लीचिंग” पर फिर एक बार विधेयक लाने जा रहे हैं, पिछले विधेयक को राज्यपाल महोदय ने लौटा दिया था. आखिर मुख्यमंत्री जी इस विधेयक के लिए इतना व्याकुल क्यों हैं? अगर मन में तनिक भी ईमानदारी है तो "धर्म परिवर्तन रोकने" के लिए भी विधेयक लाइए.
सोरेन सरकार की चिंता
दूसरी ओर सोरेन सरकार का मानना है कि उन्मादी भीड़ द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर की जाने वाली हिंसा और हत्या गंभीर चिंता का विषय है. इस पर रोक जरूरी है, इसलिए यह विधेयक फिर से लाया जा रहा है. ताकि मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लग सके और दोषियों को दंडित किया जा सके. बता दें कि, इससे पहले दिसंबर 2021 में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक-2021 पास कराकर इसे राज्यपाल को भेजा गया था, लेकिन तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने 18 मार्च 2022 को कुछ आपत्तियों के साथ इस विधेयक को सरकार को लौटा दिया था. वहीं विधेयक की अपत्तियों को दूर कर एक बार फिर बिल पेश करने की तैयारी की जा रही है.
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