Jharkhand News: झारखंड के रांची में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल स्तरीय बालिका आवासीय विद्यालय बुंडू की 60 छात्राओं ने गुरुवार की रांची-टाटा रोड जाम कर दिया. छात्राएं गुरुवार की दोपहर साढ़े 12 से ढाई बजे तक सड़क पर बैठी रहीं. छात्राओं का आरोप है कि जला और कच्चा भोजन दिया जा रहा है. पीने के लिए टैंकर से गंदा पानी मिल रहा है. शिक्षक नहीं होने के कारण अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही है. सूचना मिलने पर बुंडू एसडीएम अजय कुमार साव ने पानी और सुरक्षा की व्यवस्था कराई. समस्याओं का जल्द निदान करने के आश्वासन दिया, जिसके बाद छात्राओं ने जाम हटाया.
इंदिरा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, हजारीबाग की तर्ज पर राज्य सरकार द्वारा बुंडू में इस विद्यालय की स्थापना हुई है. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के तहत विभिन्न जिलों की छात्राओं का छठी कक्षा में नामांकन 4 साल पहले लिया गया था, उसके बाद से नामांकन बंद है. अभी 10वीं कक्षा की 60 छात्राएं छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रही हैं. इस विद्यालय का अपना भवन भी नहीं है. कक्षाएं बालिका उच्च विद्यालय, बुंडू के भवन के एक अलग कमरे में चलती हैं. यहां शिक्षक भी डेपुटेशन पर हैं. छात्राओं ने बताया कि 7 अगस्त को प्रधानाचार्या को लिखित रूप में सूचना दी थी कि यदि 9 अगस्त तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो स्कूल छोड़कर अपने घर चली जाएंगी.
मौके पर पहुंचे एसडीएम
सूचना पर जाम स्थल पर पहुंचे बुंडू सीओ राजेश डुंगडुंग, बीडीओ संध्या मुंडू आदि ने छात्राओं को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थीं. बाद में एसडीएम अजय कुमार साव के पहुंचने और समझाया तब बच्चे हटे. वहीं अधिकांश छात्राएं रोने लगीं. इस दौरान छात्रा रेशमा बेहोश होकर गिर गई. छात्राओं का आरोप है कि स्कूल में गार्ड नहीं है. रात में असामाजिक तत्व परिसर में आ जाते हैं. सफाईकर्मी नहीं है टॉयलेट खुद साफ करना पड़ता है. कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. जला खाना और गंदा पानी मिलता है. शिकायत करने पर प्रैक्टिकल परीक्षा में कम नंबर देने की धमकी दी जाती है. इधर, एसडीएम ने बताया कि मोटर खराब होने के कारण पानी की दिक्कत थी, जिसे बना दिया गया है. बुंडू पुलिस को गश्त करने और असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया गया है.
बाबूलाल मरांडी ने सीएम पर बोला हमला
वहीं इस घटना के बाद बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, एक ओर जब आदिवासी दिवस के नाम पर बाप-बेटे सरकारी करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाकर अपना चेहरा चमका रहे थे. ठीक उसी समय सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली ये बच्चियां स्कूल की बदहाली के चलते नरक समान जीवन से तंग आकर सड़क पर बैठ कर विरोध जता रही थीं. हेमंत बाबू दो दिनों के आदिवासी दिवस में झारखंड के विभूतियों की जगह आपने खुद और अपने पिता का चेहरा चमकाने के लिये जो सरकारी अरबों रूपये पानी की तरह बहाया, उसी पैसे का थोड़ा हिस्सा इन बच्चियों के स्कूल की दुर्दशा ठीक करने में खर्च कर दिया होता आपको इनकी दुआ मिलती. लेकिन आपकी नजर में तो झारखंड में एक ही आदिवासी परिवार है-“सोरेन राज परिवार” और आप उसके एकमात्र एक्सिडेंटल उत्तराधिकारी हैं.
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