बाबूलाल मरांडी की विधानसभा में मांग- 'झारखंड में लागू हो NRC, मुसलमानों की संख्या में...'
NRC in Jharkhand: बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में आदिवासी जनसंख्या की गिरावट और मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने झारखंड में NRC लागू किए जाने की मांग की है.

Babulal Marandi Demands NRC in Jharkhand: झारखंड में बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि राज्य में आदिवासियों की आबादी कम हो रही है और एक विशेष समुदाय की आबादी बढ़ रही है. इस बात का जिक्र उन्होंने विधानसभा मे किया. इसी के साथ हेमंत सोरेन सरकार के सामने एनआरसी कराने की मांग रखी.
बाबूलाल मरांडी ने कहा, "हमारे यहां आदिवासियों की जनसंख्या किन वजहों से कम हो रही है, यह हमें देखना चाहिए. यह भी देखना चाहिए कि किसकी आबादी झारखंड में बढ़ रही है?"
'मुस्लिम आबादी कहां से बढ़ रही है?'- बाबूलाल मरांडी
कथित तौर पर घुसपैठियों का जिक्र करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा, "विधानसभा में एक सदस्य ने कहा था कि यहां कोई घुसपैठिया नहीं है. साल 1951 से 2011 के सेंसस तक इतनी बड़ी तादाद में आदिवासियों की आबादी कम हुई है. दूसरी ओर अल्पसंख्यकों में मुसलमानों की आबादी बढ़ी है. आखिर वह कहां से बढ़ी है?"
झारखंड में आदिवासियों की संख्या में बड़ी गिरावट और मुसलमानों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) March 18, 2025
आदिवासी समाज की आबादी घटने से उनके लिए आरक्षित विधानसभा, लोकसभा की सीटें कम हो जाएंगी और सरकारी नौकरियों के अवसर भी सीमित रह जाएंगे, जो बेहद चिंता का विषय है।
आदिवासी समाज के हित में… pic.twitter.com/tnCgXWsvmg
बाबूलाल मरांडी ने रखी NRC कराने का मांग
इसी कड़ी में बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, "हम चिंतित हैं और इसीलिए हम राज्य सरकार से कहते हैं कि एक बार हमें सपोर्ट करिए ताकि झारखंड में हम एनआरसी करा लें और यह पता चल सके कि कौन कहां से आया है. आपको यह बात तो बतानी ही पड़ेगी कि आदिवासी आखिर कम कैसे हुए? हमें इसपर चिंता करनी चाहिए."
बाबूलाल मरांडी ने चिंता जाहिर करते हुआ कहा, "आदिवासियों की आबादी घटती रहेगी तो लोकसभा सीट, विधानसभा सीट और सरकारी सेवाओं में भी दुर्गामी प्रभावी पड़ेगा. इसलिए यह विषय सभी के लिए चिंता का है."
क्या है एनआरसी?
एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के जरिए भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जा सकता है. एनआरसी की शुरुआत साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी. फिलहाल, यह असम के अलावा और किसी राज्य में लागू नहीं है. केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.
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