Jharkhand Politics: बाबूलाल मरांडी ने CM सोरेन को बताया 'एक्सिडेंटल अयोग्य राजकुमार', बोले- 'उन्हें सबकी चिंता हैं लेकिन...'
Jharkhand News: बाबूलाल मरांडी ने कहा कि CM को MP के पेशाब कांड की, मणिपुर के नरसंहार की चिंता है और राष्ट्रपति को चिठ्ठी लिखने की भी चिंता है, लेकिन जैसे ही झारखंड की बात आती है वो चुप हो जाते हैं.
Babulal Marandi Target CM Hemant Soren: झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने एक बार फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) पर निशाना साधते हुए उन्हें एक्सिडेंटल अयोग्य राजकुमार बताया है. दरअसल, बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा कि, 'झारखंड सोरेन राज परिवार के एक्सिडेंटल अयोग्य राजकुमार सबकी चिंता करते हैं, सिवाय झारखंड को छोड़कर.'
वहीं आगे बाबूलाल मरांडी ने कहा कि, 'मध्य प्रदेश के पेशाब कांड की चिंता है, मणिपुर के नरसंहार की चिंता है, ओडिशा के आदिवासियों की चिंता है और तो और माननीय राष्ट्रपति जी को चिठ्ठी लिखने की भी चिंता है, लेकिन जैसे ही झारखंड की बात आती है, आदिवासीयों के स्वघोषित, नालायक मालिक चुप हो जाते है. सीएम रांची सहित राज्य भर में हो रही हत्याओं पर चुप, गरीब आदिवासी बेटियों के साथ रेप पर चुप, संथाल में लव जिहाद, जमीन जिहाद पर चुप बालू- कोयला-पत्थर के अवैध खनन पर चुप, ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल पर चुप. आपकी सिलेक्टिव चुप्पी का राज जनता अच्छी तरह समझती है.'
झारखंड सोरेन राज परिवार के एक्सिडेंटल अयोग्य राजकुमार सबकी चिंता करते हैं, सिवाय झारखंड को छोड़कर। मध्य प्रदेश के पेशाब कांड की चिंता है, मणिपुर के नरसंहार की चिंता है, ओडिशा के आदिवासियों की चिंता है और तो और माननीय राष्ट्रपति जी को चिठ्ठी लिखने की भी चिंता है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) July 28, 2023
लेकिन जैसे ही…
इससे पहले भी साधा सीएम सोरेन पर निशाना
वहीं इससे पहले बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा था कि, 'मुख्यमंत्री जी, राज्य में जो कानून व्यवस्था और अपराध परवान चढ़ रहा है तो उसके लिये सीधे-सीधे आप जिम्मेवार है. आपकी सरकार में तमाम कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार करके पुलिस अफसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रोन्नति में बड़े पैमाने पर घपला हो रहा है. उदाहरण के लिए अभी हाल फिलहाल में जिन अफसरों को आईपीएस में प्रोन्नति दी गई है, उसमें नियम कानून को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है. कायदे से आईपीएस में प्रोन्नति के बाद जिलों में भेजे जाने से पहले अफसरों की “इंडक्शन ट्रेनिंग” अनिवार्य होती है. पर ऐसी कौन सी जल्दबाजी थी कि बिना किसी इंडक्शन ट्रेनिंग के आपने कुछ अधिकारियों को सीधा जिलें का कमान दे दिया?'
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