Jharkhand News: सरायकेला की 'लेडी टार्जन' चामी मुर्मू को मिलेगा पद्मश्री, 30 साल में लगाए तीस लाख से ज्यादा पौधे
Padma Shri Award: झारखंड की रहने वाली चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. उन्होंने सन 1990 में सहयोगी महिला नामक एनजीओ का गठन किया और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया.
Padma Shri Award 2024: भारत सरकार की तरफ से झारखंड के सरायकेला जिला अंतर्गत राजनगर की 52 वर्षीय चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. नारी सशक्ति सम्मान समेत कई पुरस्कार से नवाजी गई चामी मुर्मू को पद्मश्री के लिए चयनित किए जाने पर इन्होंने सरकार के प्रति आभार जताया है. इन्होंने लगातार तीन बार पद्मश्री पुरस्कार के लिए आवेदन किया था.
झारखंड की चामी मुर्मू ने 3000 महिला समूह बनाकर 30 हजार को स्वराेजगार दिलाया है. चामी मुर्मू सरायकेला जिले के राजनगर प्रखंड भाग-16 की जिला परिषद सदस्य हैं. चामी ने राजनगर के बगराईसाई में सहयाेगी महिला संस्था का गठन किया था. उनकी संस्था ने अब तक 720 हेक्टेयर भूमि पर 30 लाख पौधे लगाया है. इस पाैधाराेपण के लिए चामी काे वर्ष 1996 में इंदिरा गांधी वृक्ष मित्र पुरस्कार से भी सम्मानित किया था.
चामी मुर्मू का जन्म 1973 के आसपास हुआ था, वह सरायकेला खरसावां जिले के राजनगर ब्लॉक के बागराईसाई गांव की रहने वाली हैं. मार्च 2020 में मुर्मू अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नई दिल्ली में थीं, जहां राष्ट्रपति कोविंद ने बारह नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए, उनमें से एक यह भी थीं. तकरीबन 30 वर्षों में इन्होंने 30 लाख से भी अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण का संरक्षण किया है.
इसके अलावा महिला सशक्तिकरण, तालाब, जल स्रोत के निर्माण में सहयोग कर ग्रामीणों को भी जागरूक किया है. चामी ने महिलाओं को भी सर्वाधिक स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से कई कार्य किए हैं, जिसे लेकर इन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. विशेष बातचीत के क्रम में चामी मुर्मू ने बताया कि गुरुवार दोपहर 3 बजे सरायकेला खरसावां के जिला उपायुक्त रविशंकर शुक्ला के तरफ से दूरभाष पर इन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने संबंधित जानकारी दी गई है.
महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
सन 1990 में चामी मुर्मू ने सहयोगी महिला नामक एनजीओ का गठन किया, इसके बाद इन्होंने सबर जनजाति समेत आदिम जनजाति के महिलाओं को एकत्रित कर उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम किया. वर्तमान में 3000 से भी अधिक महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें बैंक से विभिन्न योजनाओं के तहत ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार से जोड़ रही हैं. इसके अलावा दलमा के सुदूरवर्ती तराई क्षेत्र में बसे आदिम जनजाति के परिवार के महिला और बालिकाओं के उत्थान को लेकर भी इन्होंने कई कार्य किए हैं.
मदर टेरेसा को आदर्श मान शुरू किया सामाजिक कार्य
52 वर्षीय अविवाहित चामी मुर्मू ने बताया कि मदर टेरेसा को अपना रोल मॉडल मानकर सामाजिक कार्य की शुरुआत की. दो भाई और एक बहन में सबसे बड़ी चाबी मुर्मू ने अपना जीवन महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में गुजारा है. इसी सामाजिक उत्कृष्ट योगदान के लिए इन्हें पद्मश्री दिए जाने की घोषणा की गई है.
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