Champai Soren News Today: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन आज (30 अगस्त) भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि, डैमेज कंट्रोल प्लान के लिए हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन को प्रदेश सरकार में शुक्रवार को मंत्री बनाया है.


चंपाई सोरेन के स्वागत के लिए रांची के शाखा मैदान में अभिनंदन व मिलन कार्यक्रम रखा गया. मंच पर चुनाव चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्वा शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी समेत झारखंड बीजेपी के तमाम नेता मौजूद रहे. इस मंच पर चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन भी मौजूद रहे.


क्यों नाराज हुए चंपाई सोरेन?


झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन का JMM से अलग होना इस बात का नतीजा है कि पार्टी ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में फिर से बहाल कर दिया, जब उन्हें पांच महीने तक जेल में रहने के बाद जमानत मिल गई थी. पार्टी के इस फैसले से चंपाई सोरेन को सीएम का पद छोड़ना पड़ा. 


ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या चंपाई सोरेन के दम पर बीजेपी को झारखंड विधानसभा चुनाव में JMM और उसके सहयोगियों को हराने में मदद मिलेगी? 


बीजेपी का सियासी प्लान क्या है?


झारखंड विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के खेल में चंपाई सोरेन बीजेपी के लिए एक मोहरे की तरह हैं. चंपाई को बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए या तो एक मास्टरस्ट्रोक हो सकता है या पूरी तरह से मायूस करने वाला साबित हो सकता है. 


चंपाई सोरेन शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन के मजबूत नेता रहे हैं. कुछ विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव अच्छा है. इनमें कोल्हान क्षेत्र प्रमुख है. झारखंड में 81 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं. 


साल 2019 के चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. 28 सीटों में से केवल दो सीटों पर बीजेपी जीती थीं. झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सभी पांच लोकसभा सीटों पर भी बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ा था.


लोकसभा चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस ने आदिवासी नेता हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को बड़ा मुद्दा बनाया था. माना जाता है कि इससे गठबंधन को फायदा मिला. यही वजह है कि कभी हेमंत सोरेन के करीबी रहे चंपाई सोरेन जैसे नेता बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव जीतने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं. 


एसटी आबादी में 26 प्रतिशत 


साल 2011 में संपन्न जनगणना के मुताबिक झारखंड की कुल जनसंख्या 32988134 है. इनमें अनुसूचित जनजातियों की आबादी 86,45,042 है, जो राज्य की कुल आबादी का 26.2 प्रतिशत थी.  झारखंड में 77 लाख से ज्यादा आदिवासी मतदाता हैं.


यही वजह है कि झारखंड की राजनीति में आदिवासी मतदाताओं की भूमिका अहम माना जाता है. बीजेपी चंपाई सोरेन के जरिए आदिवासी मतदताओं को अपने पक्ष करना चाहती है. यहां पर इस बात का भी जिक्र कर दें कि बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा जैसे नेता अब बीजेपी के लिए वोट हासिल नहीं कर पा रहे हैं.  


दूसरी तरफ रामदास सोरेन घाटशिला से जेएमएम विधायक हैं. चंपाई सोरेन की तरह वह भी कोल्हान क्षेत्र के बड़े नेता हैं. शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहे थे. आदिवासी समाज के बीच उनकी अच्छी पैठ है. पहली बार रामदास सोरेन 2009 में और दूसरी बार 2019 में विधायक बने. वह जेएमएम के पूर्वी सिंहभूम के जिला अध्यक्ष भी हैं. 


रामदास सोरेन ने ली मंत्री पद की शपथ, झारखंड आंदोलन के समय कई बार हुए थे गिरफ्तार