Jharkhand News: देश की कोयला राजधानी धनबाद में जंगलों को काटने के विरोध में चिपको आंदोलन की तर्ज पर फिर से एक आंदोलन शुरू हो गया है. कोयला उत्पादन बढ़ाने को लेकर हरे-भरे जंगलों कि बलि दी जा रही है. बीसीसीएल के पीबी एरिया में हजारों पेड़ों को काटने के लिए प्रशासनिक अनुमति भी दे गई है. जिसको लेकर स्थानीय ग्रामीणों के साथ पर्यावरण से जुड़े समाजसेवियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. 


बीसीसीएल के पीबी एरिया गोपालीचक में जैसे ही जंगल काटने बीसीसीएल के लोग पहुंचे तो महिलाएं अपने बच्चों के साथ पेड़ से चिपक कर विरोध करने लगीं. जिसके बाद जंगल काटने आए अधिकारियों और कर्मचारियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा.


पेड़ों से चिपकी महिलाओं कि क्या है मांग?
पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति जंगलों को काटने से बचाने के लिए आंदोलन कर रही है. लोगों का कहना है कि धनबाद कोलफील्ड क्षेत्र है और यहां प्रदूषण चरम पर है. ऐसे में जंगलों को उजड़ने से रोकने और अपने आने वाले पीढ़ियों को बचाने के लिए जंगलों को सहेजना जरूरी है. कोलयरी प्रबंधन कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए बेतहाशा पेड़ों और जंगलों को उजाड़े जा रहे हैं. चंद पेड़ों को काटने कि अनुमति लेकर हजारों पेड़ों को काटा जा रहा है. जब भी कोई जंगल में पेड़ों को काटने आएगा इसी तरह पेड़ों से लिपटकर वे लोग आंदोलन करते रहेंगे. नीतू रजवार का कहना है कि वे मरने को तैयार हैं लेकिन अपने जीवन रूपी पेड़ों को काटने नहीं देंगे. यदि बीसीसीएल को जंगल काटने की अनुमति मिली है तो स्थानीय स्तर पर डीएफओ जंगल के बड़े अधिकारी है वो यहां आएं और पूरी स्थिति स्पष्ट करें. आखिर बीसीसीएल कोयला कंपनी आऊट सोर्सिंग को बढ़ावा क्यों दे रही है जिसके वजह से जंगलों को काटा जा रहा है. 


क्या कहते हैं कोयला अधिकारी
एक ओर जहां ग्रामीण पेड़ों के काटने का विरोध कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बीसीसीएल के अधिकारी बताते हैं कि कोयला माइंस के विस्तारीकरण के लिए जंगलों को काटा जाना है. इसके लिए जो भी कानूनी प्रक्रियाएं है उन्हे पूरा किया गया है. जहां तक लोगों के विरोध कि बात है तो उनसे बात होने के बाद ही आगे कोई कार्यवाही होगी.


गाइडलाइन के अनुसार होगा काम 
बीसीसीएल कोलयरी प्रबंधन गोपालीचौक स्थित ग्रीन पैच जंगल को उजाड़ने में लगा हुआ हैं. इस मामले पर धनबाद वन प्रमंडल के डीएफओ विकास पलिवाल बताते हैं कि पेड़ों को काटने कि अनुमति रांची से आई हाई लेवल कमिटी द्वारा जांच के बाद दी गई है. 1700 पेड़ों को काटने और 300 पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्टिंग के आदेश है। 1700 पेड़ों को काटे जाने के एवज में दस गुना पेड़ों को लगाना है. यानी बीसीसीएल को 1 लाख 70 हजार पेड़ लगाने होंगे. उन्होंने कहा सभी चीजों कि मॉनिटरिंग होगी, जो भी सरकार के आदेश है जो गाइड लाइन जारी किए गए हैं उसी के अनुरूप काम किए जाएगा.


धनबाद में दिल्ली से ज्यादा रहा प्रदूषण 
बीते वर्ष प्रदूषण के मामले में धनबाद ने दिल्ली को भी पछाड़ दिया था. उस समय प्रदूषण स्तर एयर क्वालिटी इंडेक्स की सघनता 554 पर था. पीएम 2.5 का स्तर 544.2 और पीएम 10 का स्तर 554.9 था. जो राष्टीय मानक 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर से पांच गुना अधिक था. ऐसे हालातों शहर से पेड़ की कटाई पर सोचना ही बेमानी होगी. ऊर्जा के लिए जितना कोयला जरूरी है उतना ही जरूरी पर्यावरण को बचाना भी है. ऐसे में कोयला निकालने के लिए जरूरी है कि भूमिगत खदानों को विकसित किया जाए. 


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