Jharkhand News: झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार को सिविल सर्विसेज डे (Civil Services Day) के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने भी हिस्सा लिया. सीएम ने इस कार्यक्रम में अधिकारियों को लोगों से जुड़ने और उनसे संवाद करने की नसीहत देते हुए क्षेत्रीय भाषा की जानकारी पर सवाल उठा दिया.


इस दौरान IAS और IPS अफसरों से राज्य के विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के लिए क्षेत्रीय भाषा को जानने और समझने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 2000 के पास लोक सेवक हैं. इनमें 1400 सिविल सर्विसेज के हैं. अगर सभी अधिकारी ठान लें तो हर योजना राज्य के हर एक तक पहुंचाई जा सकती हैं. लेकिन इसके लिए सभी को चाहिए कि वो यहां के स्थानीय भाषा में लोगों से संवाद करे.


क्या था सवाल? जिसका नहीं मिला जवाब


सिविल सर्विसेज डे कार्यक्रम में आगे मुख्यमंत्री ने एक ऐसा प्रश्न कर दिया, जिससे समारोह में शामिल सभी लोग अचंभित रह गए. सीएम सोरेन ने वहां बैठे अधिकारियों से एक सवाल पूछा, कितने अधिकारी संथाली मुंडारी और हो भाषा जानते हैं? इस भाषा में बोल सकते हैं? यह सुनकर सभी अधिकारी घबराते हुए एक दूसरे की ओर देखने लगे, जिसके बाद फिर सीएम ने कहा देखो कोई नहीं जानता.


इसके बाद सीएम ने कहा, 'पंजाब में रहने वाले झारखंड के लोग पंजाबी बोल सकते हैं. यहां के अधिकारी दूसरे राज्यों में तमिल और कन्नड़ बोल सकते हैं तो आप यहां पर बोले जाने वाली भाषा क्यों नहीं बोल सकते है'. उन्होंने आगे कहा, 'नए अधिकारियों के लिए यह बहुत जरूरी है कि वो यहां की भाषा के जरिए जल्दी से प्रदेश की जनता के साथ तालमेल बिठा सके और आम लोगों से संवाद के लिए झारखंड की भाषा सीखे.'


'...इसीलिए झारखंड सबसे पिछड़ा राज्य है'


अधिकारियों से संवाद में सीएम सोरेन ने कहा, 'राजनेता आते-जाते रहेंगे, पर आप यही रहेंगे. इसलिए निष्ठापूर्वक काम करें.' मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के देश में पिछड़ा कहे जाने के बात पर कहा, 'झारखंड को बने हुए 22 साल से अधिक हो चुका है, फिर भी झारखंड जहां था, वहीं खड़ा है. यही वजह है कि झारखंड देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है. जबकि झारखंड में प्रकृति ने अपार संपदाएं के साथ प्राकृतिक सौंदर्य एवं मानव बल भी हमारे राज्य में है. हमारे पास वैसा कोई कारण नहीं है, जिससे हम पिछड़े राज्यों में शुमार हों.


मुख्यमंत्री सोरेन ने किसानों की हालत पर भी चिंता जताई. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसानों की संख्या निरंतर घटती जा रही है. वहीं खेतिहर मजदूरों की संख्या बढ़ रही है. प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़खानी करने का ही नतीजा है कि आज बिन मौसम बारिश, बाढ़, भूकंप, जरूरत से ज्यादा गर्मी आदि प्राकृतिक आपदाएं हमारे बीच मंडराती रहती हैं. उन्होंने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि हमें प्रकृति के साथ समन्वय बनाकर विकास की ओर ध्यान देना है. उन्होंने अधिकारियों को पर्यावरण का ध्यान रखने की भी हिदायत दी.सीएम ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वो जनता के बीच जाएं, उनकी बातों को समझें और फिर उसी के अनुरूप योजनाओं को लागू करें.


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