Jharkhand News: झारखंड में शराब की कम बिक्री से सरकार के खजाने की सेहत प्रभावित हो रही है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में नवंबर महीने तक शराब की बिक्री से 1600 करोड़ रुपए राजस्व लाने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन मात्र 1084 करोड़ रुपए ही सरकारी खजाने में आ सका. राजस्व में कमी आने पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चिंतित हैं. उन्होंने विभागीय अफसरों और राज्य में शराब बिक्री के लिए जिम्मेदार एजेंसी को फटकार लगाई है. झारखंड सरकार ने राज्य में शराब बिक्री से राजस्व वृद्धि के लिए इसी साल छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को कंसल्टेंट बहाल किया था.


शराब की कम बिक्री होने से चिंतित हैं सीएम हेमंत सोरेन


कॉरपोरेशन की सलाह पर बनी पॉलिसी के तहत राज्य भर में शराब बिक्री का जिम्मा सरकार ने खुद लेते हुए मैनपावर एजेंसियां बहाल की हैं. राज्य भर में शराब की लाइसेंसी दुकानों का संचालन इन्हीं एजेंसियों के जरिए किया जा रहा है. नई पॉलिसी लागू होने के बाद राजस्व वसूली की स्थिति की समीक्षा के दौरान आंकड़ा सामने आया कि नवंबर महीने तक लक्ष्य का मात्र 68 प्रतिशत राजस्व ही हासिल हो पाया है. उन्होंने एजेंसियों और विभाग के अफसरों को वित्त वर्ष के बाकी चार महीनों में शराब बिक्री से अनुमानित राजस्व का लक्ष्य शत-प्रतिशत हासिल करने का निर्देश दिया है. एजेंसियों को कहा गया है कि नवंबर महीने तक अनुमानित राजस्व में 562 करोड़ की कमी की भरपाई अगले क्वार्टर तक हर हाल में पूरा करें.


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राजस्व वसूली की स्थिति की समीक्षा बैठक में दिए निर्देश


सीएम ने शराब दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन का भुगतान न किए जाने की शिकायतों पर भी नाराजगी जताई. उन्होंने एजेंसियों को आदेश दिया का बकाया वेतन भुगतान तत्काल अदा किया जाए. उन्होंने दुकान संचालकों को अगले 15 दिनों के अंदर अपनी कार्यशैली में सुधार लाने, खुदरा शराब दुकानों के बाहर रेट लिस्ट लगाने, शराब की अधिक कीमत पर बिक्री की शिकायतें मिलने पर कार्रवाई करने को कहा. समीक्षा बैठक के दौरान सीएम को बताया गया कि राजस्व लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होने पर मैन पावर देने वाली एजेंसियों पर अक्टूबर में 18.22 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. सरकारी दुकानों में शराब बिक्री से कम राजस्व प्राप्ति की एक बड़ी वजह अवैध शराब बिक्री बताई गई है. सीएम ने अफसरों से कहा कि अवैध शराब बिक्री रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं.