Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुलिस, प्रशासन, न्यायपालिका और कॉरपोरेट सेक्टर में शीर्ष पदों पर आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों की कम भागीदारी पर चिंता जताई है. उन्होंने शुक्रवार को रांची के बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया.


सीएम ने कहा कि कहा कि आज भी आईएएस, आईपीएस, जज और कॉरपोरेट सेक्टर में उच्च पदों पर गिने-चुने आदिवासी दिखते हैं. जो लोग इन जगहों पर पहुंचते हैं, उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे पदों पर उनकी भागीदारी कैसे बढ़े, इस दिशा में सरकारों को गंभीरता के साथ काम करने की जरूरत है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि देश-दुनिया में आदिवासी समाज के बाद ही बाकी समाज और उनकी संस्कृतियों का सृजन हुआ. आदिवासियों ने अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए लंबा संघर्ष किया है. झारखंड की बात करें तो वीरों की इस धरती पर भगवान बिरसा मुंडा, सिदो कान्हू, चांद भैरव, फूलो झानो, टाना भगत, नीलांबर-पीतांबर शेख भिखारी, निर्मल महतो, विनोद बिहारी महतो सहित अनेक सपूतों ने जल, जंगल, जमीन और आदिवासियों-मूलवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और बलिदान दिया.






40-50 वर्षों तक अलग राज्य बनाने की लड़ाई लड़ी
सोरेन ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों-मूलवासियों को सदियों से शोषण का शिकार होना पड़ा है. देश आजाद होने के पहले और उसके बाद भी उन्हें मुख्यधारा से अलग-थलग रहना पड़ा है. इसी वजह से यहां के लोगों ने 40-50 वर्षों तक अलग राज्य बनाने की लड़ाई लड़ी. विश्व आदिवासी दिवस आदिवासियों और मूल निवासियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए संकल्प लेने का दिन है.


झूमते-नाचते हुए कला का प्रदर्शन किया
उन्होंने कहा कि आज राज्य की जनता हमारी सरकार की तरफ बड़ी आशा के साथ देख रही है. हमने ऐसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे समाज के पिछड़े वर्ग को लोगों को आगे लाया जा सके. मुख्यमंत्री ने महोत्सव में आए विभिन्न राज्यों के कलाकारों, चित्रकारों और सांस्कृतिक दलों का स्वागत किया. महोत्सव के उद्घाटन के पहले विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी कलाकारों ने रांची में ‘रीझ-रंग रैली’ निकाली, जिसमें उन्होंने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ झूमते-नाचते हुए कला का प्रदर्शन किया.


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