Jharkhand News: कई बार इंसान और जानवर संवेदना की ऐसी डोर से जुड़ जाते हैं, जिसे देखकर लोग आश्चर्य और कौतूहल से भर उठते हैं. जहां एक तरफ इन दिनों सोशल मीडिया पर अमेठी के आरिफ और एक सारस की दोस्ती चर्चा में है, तो वहीं ऐसी ही एक घटना जमशेदपुर में सामने आई है. यहां एक बुजुर्ग के निधन पर एक लंगूर ने जिस तरह की संवेदना दिखाई, वह पूरे इलाके चर्चा का विषय बना है.


श्मशान घाट तक पहुंच गया लंगूर


चाकुलिया प्रखंड के कालापाथर गांव निवासी 80 वर्षीय गौरांग चन्द्र पाल का बीते सोमवार को निधन हो गया. उनके अंतिम संस्कार के पहले उनका शव अंतिम दर्शन के लिए घर के आंगन में चारपाई कर रखा गया था. लोग उनके अंतिम दर्शन कर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर रहे थे. इसी बीच कहीं से वहां एक लंगूर आ पहुंचा. वह चारपाई पर शव के सिरहाने बैठकर उनका सिर और चेहरा सहलाने लगा. उसने गौरांग चन्द्र पाल के पार्थिव शरीर पर अन्य लोगों की तरह पुष्प अर्पित किया. इस दौरान लंगूर ने किसी को किसी प्रकार से परेशान नहीं किया. बाद में जब उनकी अंतिम यात्रा निकली तो गांव के लोगों के साथ वह भी श्मशान घाट तक पहुंचा. वहां भी वह चिता के पास बैठा रहा. अंतिम संस्कार के बाद लंगूर वापस चला गया. शोकाकुल परिवार को सांत्वना देने पहुंचे पंचायत के मुखिया शिवचरण हांसदा ने बताया कि यह लंगूर इसके पहले कभी नहीं दिखा था.


बता दें कि इंसानियत की एक मिशाल कुछ दिनों पहले इंदौर में देखी गई थी. जहां कुछ लोगों द्वारा एक मृत बंदर का हिंदू रीति रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार किया गया. दरअसल, सनातन धर्म में बंदर को बजरंगबली का रूप माना गया है और इसी के चलते रहवासियों ने अपनी आस्था को प्रदर्शित करते हुए विधि विधान से बंदर का अंतिम संस्कार किया. दरएसल, एक अज्ञात वाहन ने बंदर को अपनी चपेट में ले लिया था जिसमें बंदर की मौके पर ही मौत हो गई थी. 


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