Jharkhand News: झारखंड में हाथी-मानव संघर्ष थम नहीं रहा. पिछले 24 घंटे के दौरान एक हाथी और दो लोगों की मौत हो गई है. पिछले एक हफ्ते में राज्य के अलग-अलग इलाकों में हाथियों ने बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान भी पहुंचाया है. पूर्वी सिंहभूम जिले के नीमडीह प्रखंड के हुटू गांव में बुधवार की सुबह करीब 6 बजे झुंड से बिछड़े हाथी ने 87 वर्षीय श्याम गोप को कुचलकर मार डाला. वह सुबह शौच के लिए घर से बाहर निकले थे, तभी झाड़ी से बाहर आए हाथी ने उन्हें कुचला और सूंढ़ से लपेट लिया. घटना के सूचना मिलने के बाद नीमडीह थाना की पुलिस व वन विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे.


उधर बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत झुमरा पहाड़ की तलहटी में स्थित अंबाटांड़ गांव में मंगलवार की रात हाथी ने अपुरगिया देवी नामक 74 वर्षीय महिला को कुचल डाला. बताया गया कि रात के करीब 10 बजे वह घर के बाहर निकलीं तो सामने स्थित खेत में मौजूद दो हाथियों ने कुचल डाला. मौके पर ही उनकी मौत हो गई. उनकी चीख सुनकर गांव के लोगों ने मशाल जलाकर किसी तरह हाथियों को भगाया. इस घटना के बाद वन विभाग के प्रति ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया.


वन विभाग से नाराज दिखे ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि हाथी भोजन की तलाश में जंगल छोड़कर गांव में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को जान व माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वन विभाग हाथियों को वापस जंगल की ओर खदेड़ नहीं सकता तो कम से कम ग्रामीणों को हाथी के आने की सूचना तो दे सकता है. आबादी वाले क्षेत्र में हाथी के प्रवेश करने पर वन विभाग को माइक के जरिए ऐलान कर या ढिंढोंरा बजाकर ग्रामीणों को सचेत करना होगा, ताकि किसी प्रकार का नुकसान नहीं हो.


बिजली के तार की चपेट में आकर हाथी ने तोड़ा दम
इधर सोमवार-मंगलवार की रात पूर्वी सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा में 11 हजार वोल्ट के बिजली तार की चपेट में आकर एक हाथी ने दम तोड़ दिया. बताया गया कि हाथियों का एक झुंड पिछले एक हफ्ते से इलाके में घूम रहा था. इनमें से एक झुंड से बिछड़ गया था. जंगल में एक जगह कम ऊंचाई पर झूलते बिजली के हाईटेंशन तार के संपर्क में उसकी मौत हो गई. सुबह जब स्थानीय ग्रामीणों ने हाथी को मरा देखा तो इसकी सूचना वन विभाग को दी गई. ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों के क्षेत्र में घूमने की सूचना वन विभाग को पहले ही दी गई थी. वन विभाग अगर समय रहते इन्हें सुरक्षित क्षेत्र की ओर भेजने की पहल करता तो हाथी की मौत नहीं होती.


गिरिडीह, बोकारो, रांची, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और हजारीबाग सहित कई जिलों में पिछले एक महीने के दौरान हाथियों के अलग-अलग झुंड ने 200 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फसल रौंदी है। वन विभाग इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं ढूंढ़ पा रहा. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) ने साल 2017 में एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया था कि झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और दक्षिण पश्चिम बंगाल का 21 हजार वर्ग किलोमीटर इलाका हाथियों का आवास है. मानव-हाथी संघर्ष के चलते देशभर में जितने लोगों की जान जाती है उनमें से 45 फीसदी इसी इलाके से हैं.


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