Deoghar Harihar Milan: झारखंड के देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर में अपनी अनोखी पर परंपराओं के लिए प्रचलित है. यहां की कुछ परंपराएं ऐसी हैं, जो अन्य ज्योतिर्लिंग या मंदिरों में नहीं देखी जातीं. होली के पर्व पर बैद्यनाथ मंदिर में हरिहर मिलन की रस्म होती है. हरिहर मिलन का अर्थ है हरि यानी भगवान विष्णु और हर यानी भगवान महादेव का मिलन.


हरिहर मिलन फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होता है. इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा (होलिका दहन की रात, 13 मार्च) से लग रही है, जिस दिन हरिहर मिलन की परंपरा निभाई जाएगी. 


कैसे शुरू हुई हरिहर मिलन की परंपरा?
बैद्यनाथ मंदिर में हरिहर मिलन की परंपरा पुरानी है. लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर यह परंपरा शुरू कब और कैसे हुई? दरअसल, एक बार रावण ने भगवान शिव को लंका चलने का आग्रह किया. शिव जी तैयार हो गए, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी. महादेव ने रावण से कहा कि तुम जहां भी शिवलिंग रख दोगे, मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा. इस शर्त को रावण ने मान लिया और हाथ में शिवलिंग लिए लंका की ओर चलने लगा. इस दौरान उसे किसी कारणवश रुकना पड़ा. वहां श्रीकृष्ण बैजू बालक के रूप में गाय चरा रहे थे. रावण ने शिवलिंग बैजू के हाथ में सौंपा और लघुशंका करने चला गया. फिर क्या था, बैजू के भेष में श्रीकृष्ण ने शिवलिंग वहीं रख दिया. तभी से देवघर के बैद्यनाथ धाम में हिरहर मिलन की परंपरा शुरू हुई.