Jharkhand News: झारखंड के देवघर (Deoghar) में रविवार को हुई रोपवे दुर्घटना में डेढ़ हजार फुट की ऊंचाई पर फंसी केबल कार ट्रॉली संख्या छह में दो छोटे बच्चों को ढांढ़स बंधाने के लिए वायुसेना के एक गरुड़ कमांडो (Garud Commando Force) ने स्वेच्छा से पूरी रात उनके साथ गुजारी. उसने मानवता की ऐसी मिसाल कायम की जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है.


दो हजार फुट की ऊंचाई पर रोपवे में फंसे थे लोग


देवघर रोपवे दुर्घटना (Deoghar Ropeway Accident) रविवार को हुई तो 48 लोग लगभग एक दर्जन केबल कार ट्रॉली में डेढ़ हजार से दो हजार फुट की ऊंचाई पर लटक गये. और उन्हें बचाने का कोई रास्ता राज्य प्रशासन को नहीं सूझ रहा था. ऐसे में भारत सरकार ने वायुसेना के एमआई 17 हेलीकाप्टर के साथ गरुड़ कमांडो को राहत और बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पहाड़ियों पर भेजा.


बचाव अभियान के दौरान ट्रॉली संख्या-छह में सोमवार शाम ढलते-ढलते सिर्फ दो छोटे बच्चे बच गये जिन्हें अंधेरा हो जाने के कारण वहां से निकाला नहीं जा सका. ऐसे में तय यह हुआ कि इन बच्चों को मंगलवार की सुबह ट्रॉलियों से बाहर निकाल कर उनके परिजनों को सौंपा जायेगा. उन्हें ट्रॉली से निकालने पहुंचा गरुड़ कमांडो अजीब दुविधा में था.


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एक तरफ उसके साथी हेलीकॉप्टर से उसे वापस ऊपर आने के लिए पुकार रहे थे तो दूसरी तरफ ट्रॉली में बचे दो बच्चे उसकी ओर सहारे की उम्मीद में टकटकी लगाये बैठे थे.


कमांडो ने पूरी रात बच्चों के साथ रहकर ढांढ़स बंधाया


इस घटना के गवाह झारखंड पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक आर के मलिक ने बताया कि वायुसेना के उस गरुड़ कमांडो ने अपनी आत्मा की आवाज सुनी और मानवता की नयी मिसाल पेश करते हुए दुर्घटनाग्रस्त रोपवे पर अटकी ट्रॉली संख्या-छह पर दोनों बच्चों का रात का सहारा बनने का फैसला किया और अपनी जान की परवाह न करते हुए हेलीकॉप्टर छोड़कर ट्रॉली में चढ़ गया.


कमांडो ने पूरी रात बच्चों के साथ रहकर उन्हें ढांढ़स बंधाया. मंगलवार को तड़के जब वायुसेना का एमआई 17 हेलीकॉप्टर वापस राहत एवं बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पर्वत पहुंचा तो सबसे पहले दोनों बच्चों को बारी-बारी से अपनी गोद में बिठाकर गरुड़ कमांडो ने हेलीकॉप्टर में पहुंचाया जहां से वापस उन्हें सुरक्षित जमीन पर लाकर उतारा गया.


वायुसेना ने अपने इस दिलेर गरुड़ कमांडो का नाम तो नही बताया है लेकिन उसकी इस मानवीय पहल की चारों ओर प्रशंसा हो रही है.


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