Deoghar Ropeway Accident: झारखंड (Jharkhand) के देवघर (Deoghar) स्थित त्रिकुट पहाड़ (Trikut Pahar) पर रविवार को हुए रोपवे के ट्रॉली हादसे में दो महिला सहित तीन लोगों की जान चली गई है. वहीं अभी भी 3 लोग फंसे हुए हैं. फिलहाल वायुसेना के जवान और एनडीआरएफ की टीम फंसे लोगों का रेस्क्यू करने में जुटी हुई है. दूसरी तरफ इस घटना को लेकर झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने जांच के आदेश दे दिए हैं और सीएम हेमंत सोरेन भी इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं.
गौरतलब है कि देवघर जिले से करीब 15 किलोमीटर दूर पर्यटक स्थल त्रिकुट पहाड़ में बीते रविवार की शाम हुए रोपवे ट्रॉली हादसे में दो महिला सहित तीन की मौत, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए. घायलों को निकालने के लिए राज्य सरकार ने भारतीय वायुसेना की मदद ली. वायुसेना और एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू में अभी भी जुटी हुई है. आज सुबह तक 12 लोगों को निकाल लिया गया है. बताया जा रहा है कि बीते रविवार की शाम को त्रिकुट पहाड़ स्थित रोपवे का ट्रॉली अचानक पहाड़ से टकरा गया, जिससे ट्रॉली में सवार कई लोग गिर पड़े और दर्जनों लोग फंस गए.
रेस्क्यू के दौरान 3 लोगों की हुई मौत
रविवार की देर शाम तक अंधेरे होने के कारण रेस्क्यू नहीं हो पाया. वहीं सोमवार की शाम राज्य सरकार ने केंद्र से मदद की आग्रह पर भारतीय वायुसेना ने मोर्चा संभाला और एनडीआरएफ की मदद से अब तक 48 में से 45 लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है. हालांकि रेस्क्यू के दौरान दो लोगों की मौत हो गई. घटना को लेकर बताया जाता है कि त्रिकुट पहाड़ में सैलानियों को घुमाने के लिए रोपवे का निर्माण किया गया है, जो श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ पूजा करने जाते हैं, वो एक बार त्रिकुट पहाड़ जरूर इस रोपवे का आनंद लेने पहुंचते हैं. यहां करीब 24 ट्रॉली लगाई गई हैं.
ट्रॉली में 4 के जगह 6 से 7 की संख्या में लोग सवार थे!
हालांकि इसके बाद तीन ट्रॉली को अलग से जोड़ा गया है, अब यह किसके आदेश से जोड़ा गया है, जांच के बाद ही साफ हो पाएगा. बताया यह भी जाता है कि ट्रॉली में 4 के जगह 6 से 7 की संख्या में लोग सवार थे, जो घटना का एक मुख्य कारण भी कहा जा रहा है. रोपवे का जिम्मा दामोदर वैली कॉरपोरेशन कोलकाता के जिम्मे पर है, फिलहाल उसे सरकार ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी कर रही है. सवाल यह भी उठता है कि क्या रोपवे का मेंटेनेंस होता था या नहीं, इस लापरवाही के जिम्मेदार कौन हैं? बताया जाता है कि रावण इसी त्रिकुट पहाड़ पर अपनी पवन हंस रोकते थे, आज भी इस पहाड़ पर दीपक का चिन्ह बना हुआ है, जिसे लोग देखने पहुंचते हैं. तीनों ओर से यह त्रिकुट पहाड़ों से घिरा हुआ है.
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