Shravani Mela 2024: पवित्र सावन माह में दुमका के बासुकीनाथ में स्थित भगवान नागेश नाथ में एक माह तक श्रावणी मेले का आयोजन होता है. इस बार भगवान नागेश नाथ के फौजदारी दरबार कांवड़ भक्तों से गुलजार हो गया है. इस मेले से जुड़ी कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं.


देश के बारह द्वादष ज्योर्तिलिंग में से एक कामना लिंग और फौजदारी बाबा के रुप में विख्यात बासुकिनाथ में नागेष ज्योर्तिलिंग का यह दरबार भी विशेष है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर भक्तों के जरिये सच्चे मन से मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 


बाबा बासुकिनाथ मंदिर का इतिहास?
दुमका जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बाबा बासुकिनाथ का मंदिर हैं. यहां आने वाले कांवड़ियों और श्रद्धालुओं पर बाबा की विशेष कृपा होती है. सावन को मधुमास कहा जाता है और इस मधुमास सावन को श्रेष्ठ पुण्यों का प्रदाता भी कहा गया है. 


पवित्र मधुमास में महादेव की पूजा अर्चना का शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है. कहा जाता है कि एक हजार साल पहले जब पूरे भारतवर्ष में अकाल पड़ा था, उस समय लोग कंद मूल खाकर जीवन यापन कर रहे थे. 


संथाल परगना के इसी दारुक वन में बाबा बासु नाम का एक आदमी कंद मूल की खोज में मिट्टी खोद रहा था. मिट्टी खोदने के क्रम में उसका औजार जमीन में किसी वस्तु से टकराया और उस वस्तु से खून निकलने लगा. 


यह देख बासु भागने लगा, तभी आकाशवाणी हुई और स्वयं नागनाथ ने बासु को सेवा करने का आदेश दिया. वहां से स्नान करने के बाद बासु को एक शिवलिंग प्राप्त हुआ. भगवान भोलेनाथ ने बासु को स्वपन में उसी के नाम से पूजा करने का आशीर्वाद दिया और उसके बाद से ही यह स्थान बासुकिनाथ के नाम से जाने जाना लगा.


बासुकिनाथ में उमड़ी भक्तों की भीड़
सावन में भगवान शिव शंकर के स्वयं भूलिंग, ज्योर्तिलिंग, पार्थिव लिंग आदि शिवलिंगों का गंगाजल से अभिषेक को महान पुण्यों का दाता कहा गया है. शिव पुराण और धार्मिक ग्रंथो की अवधारण और परिवार की अभीष्ट मंगल कामनाओं को लेकर शिव भक्तों की विशाल भीड़ भगवान भोलेनाथ के सतत अभिषेक में इन दिनों बासुकिनाथ में उमड़ रही है. 


कहां है नागेश्वरनाथ ज्योर्तिलिंग?
हालांकि भगवान शंकर का नागेश्वरनाथ ज्योर्तिलिंग कहां है, यह मतभेद वाला विषय आज भी अनिर्णित स्थिति में है. विद्वानों ने इस पर आज तक जो भी विवरण और तर्क पेश किया है. वह प्रमाण की कसौटी पर खरा सिद्ध नहीं हुआ है, लेकिन कई विद्वानों के जरिये अलग-अलग पुस्तकों और ग्रंथो के अध्ययन के बाद प्रस्तुत तर्क से यह माना जाता है कि बासुकिनाथ शिवलिंग ही नागेशनाथ ज्योर्तिलिंग है. 


समुद्र मंथन के बाद देवताओं ने श्री नागेशनाथ ज्योर्तिलिंग की सन्निधि में बासुकिनाग को सौंप दिया. इसलिए श्री नागेषनाथ का नाम बासुकिनाथ हो गया, जिसे कामना लिंग भी कहा जाता है. देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम को दीवानी बाबा और बाबा बासुकिनाथ को फौजदारी बाबा कहा जाता है. जहां श्रद्धालुओं की मनोकामना तुरंत पूरी होती है. 


105 किमी तक लगता है श्रावणी मेला
श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज से लेकर बाबा बासुकिनाथ तक करीब 105 किलोमीटर तक विशाल मेला लगता है. देश और विदेश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले कांवड़िया सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर में बाबा वैद्यनाथ धाम को जलाभिषेक करने के बाद बाबा बासुकिनाथ पहुंचते हैं, तब उनकी यात्रा को पूरा माना जाता है.


बासुकिनाथ में यूं तो साल भर बाबा भोलेनाथ के दरबार में श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहता है, लेकिन सावन में पूरा बासुकिनाथ केसरिया मय हो जाता है और सच्ची निष्ठा और विश्वास लिये देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हर दिन हजारों कांवड़िया फौजदारी बाबा के दरबार में हाजिरी देने पहुंचते हैं.


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