Dumka Student Protest: डर के साये में जी रहे हॉस्टल के छात्र धरने पर बैठे, छात्रवास में न रसोइया और न सुरक्षा गार्ड
Dumka Student Protest News: झारखंड के दुमका के सरकारी हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को वर्षों से छात्रावास में रसोइया और नाइट गार्ड न होने से कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.
Jharkhand News: झारखंड के दुमका जिले के कल्याण छात्रावास और आदिवासी महिला छात्रावास की छात्राएं हॉस्टल की समस्याओं को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. छात्र-छात्राएं को वर्षों से छात्रावास में रसोइया और नाइट गार्ड न होने से कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. प्रशासनिक अधिकारियों से बार-बार शिकायत के बावजूद इसका निराकरण अब तक नहीं हो पाया है. आलम यह है कि छात्र-छात्राओं को रात भय के साये में गुजारने के लिए मजबूर हैं. जबकि छात्र पढ़ने के बजाय अपने खाना खाने के लिए खाना भी खुद ही बनाते हैं.
तमाम समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र छात्राएं पुराना समाहरणालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. छात्रों के बीच बढ़ते रोष को देखते हुए सिविल एसडीओ और डीडब्ल्यूओ ने छात्रों से मिलकर जल्द ही समस्या समाधान करने का सभी को भरोसा दिया है.
अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे छात्र
दुमका के पुराना समाहरणालय परिसर में हंडा, कढ़ाई, और रसोई गैस सहित खाने के सामग्री के साथ बड़ी संख्या में छात्र प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के कारण अपनी मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए हैं. छात्रों का आरोप है कि कल्याण छात्रावास के छात्र-छात्राओं के पढ़ने और रहने के लिए सरकार सभी सुविधाओं को दे रही है, लेकिन सरजमीं पर कोई सुविधा इन छात्र छात्राओं को नहीं मिल रही है. प्रशासन के पदाधिकारी वर्षो से सिर्फ कोरा आश्वासन देकर छात्र छात्राओं को मुश्किलों को बढ़ा रहे हैं. आलम यह है कि रशोईया के अभाव छात्र पढ़ने के बजाय खुद खाना बना रहे हैं. सबसे मुश्किल का सामना तब होता है जब रात मे किसी नाइट गार्ड के बिना महिला छात्र को डर के साये में रात काटनी पडती है. जबकि दुमका में छात्रावास मे सिलेंडर फटने, चोरी और छेड़खानी जैसी घटनायें सामने आ चुकी हैं.
ना रसोइया, ना सुरक्षा के लिए नाईट गार्ड
गौरतलब है कि झारखंड सरकार गरीब और लाचार आदिवासी परिवारों के बच्चे को शिक्षित करने के लिए समाज कल्याण के माध्यम से करोड़ों रुपया खर्च करती है. रहने का छात्रावास, भोजन, पढ़ने और सुरक्षा का तमाम इंतजाम करती है. ताकि गांव के गरीब बच्चे को उच्च शिक्षा से वंचित ना होना पड़े, लेकिन आलम यह है कि छात्रावास में खाना बनाने के लिए न तो रसोइया है और ना ही सुरक्षा के लिए नाईट गार्ड. इस मामले में जब हमने समाज कल्याण पदाधिकारी से बात की तो उन्होंने माना कि छात्रावास में कुछ सुविधाओं की कमी है. इसके लिये जल्द ही प्रशासन कमियों को दूर करेगी.
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