Jharkhand News: अक्सर हमें पुलिस की बर्बरता की खबर मिलते रहती हैं लेकिन झारखंड के दुमका से आज पुलिस (Dumka Police) की एक ऐसी खबर सामने आई है जो समाज में एक अच्छा सन्देश दे रही है. दरअसल पिछले पांच दिनों से ग्रामीणों के इनकार और बहन के अभाव में एक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा था. ऐसे में पुलिस ने खुद पहल कर अपने कंधे पर शव को ले जाकर अंतिम संस्कार किया. पुलिस का यह मानवीय रूप समाज में उसके दागदार छवि को धुलने में सहायक है.


पुलिस ने दिया शव को कंधा
मामला झारखंड में दुमका जिले के शिकारीपाड़ा का है. यहां चार दिनों से एक शव घर में पड़ा था लेकिन कुछ ग्रामीणों की दबंगई के कारण अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था. अंत में पुलिस ने युवक मनसा राय के शव का अंतिम संस्कार कराया. इस तरह पुलिस ने उसकी कई बीघा जमीन पर नजर गड़ाए ग्रामीणों की मंशा पर पानी फेर दिया. एसडीपीओ और पुलिस निरीक्षक ने जवानों की मदद से सारी व्यवस्था की. शव को कंधा देकर करीब चार किलोमीटर दूर तक ले गए. इसके बाद उत्तर प्रदेश से पहुंचीं मृतक की दो बहनों ने दाह संस्कार किया.


क्या था मामला
दरअसल, शिकारीपाडा प्रखंड के धनबेदिया निवासी 18 वर्षीय मनसा ने दो नवंबर की रात घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर पेड़ से लटककर जान दे दी थी. अगले दिन पुलिस ने चाचा बादल राय के बयान पर मामला दर्ज कर शव का पोस्टमार्टम कराया. मनसा की दो बहनें गुड़िया और शीला देवी की शादी उत्तर प्रदेश के देवरिया में हुई है. माता-पिता की मौत के बाद मनसा और उसकी 10 वर्षीय छोटी बहन निःसंतान चाचा के साथ ही रहते थे. बादल और मनसा की गांव में 155 बीघा जमीन है. आत्महत्या की सूचना मिलने पर बहनों ने चाचा से कहा कि जब तक वे नहीं आती हैं, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाए.


गांव वालों ने दी धमकी
शनिवार को दोनों बहनें आईं तो गांव वालों ने उनसे कहा कि भाई की हत्या पर चाचा पर मामला दर्ज करायें. ग्रामीणों की मंशा थी कि भतीजे की मौत पर चाचा पर केस कराने पर जमीन का मालिक कोई और नहीं बचेगा और जमीन खाली रह जाएगी. ऐसे में उसपर वे अधिकार कर सकते हैं. इधर बहनों ने चाचा पर केस करने से मना कर दिया. केस करने से मना करने पर ग्रामीणों ने धमकी दी कि गांव में अंतिम संस्कार हुआ तो परिणाम बुरा होगा. 


नहीं होने दे रहे थे अंतिम संस्कार
रविवार सुबह थाना प्रभारी संजय सुमन को सूचना मिली कि चार दिनों के बाद भी ग्रामीण शव का अंतिम संस्कार नहीं करने दे रहे हैं. इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी को दी. एक घंटे में एसडीपीओ ने टीम के साथ मिलकर घटना की जानकारी ली. ग्रामीणों ने कहा कि वे न गांव में अंतिम संस्कार होने देंगे और ना ही कोई इसमें शामिल होगा. पुलिस ने खुद बहनों से बात कर चिता के लिये लकड़ी उपलब्ध कराई और खुद अपने कंधे पर शव को घर से निकाल. इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया.


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