Lok Sabha Elections: झारखंड में बीजेपी ने सांगठनिक फेरबदल करते हुए पूर्व सीएम और विधानसभा में विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी है. अब तक राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश प्रदेश अध्यक्ष थे. दीपक प्रकाश के कार्यकाल में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद चार उपचुनाव हुए, जिनमें बीजेपी को कोई फायदा नहीं हुआ. बीजेपी के लिए संतोष की बात यही हो सकती है कि जिन सीटों पर उपचुनाव हुए, वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले गठबंधन के खाते की ही सीटें थीं. बीजेपी के लिए चिंता की बात यही रही कि रामगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव को छोड़ कर बीजेपी कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी, जिससे कहा जा सके कि पार्टी ने सरकार गंवाने के बाद अपनी स्थिति सुधार ली है.


तीन बार से डुमरी सीट पर JMM का कब्जा
वहीं रामगढ़ सीट भी एनजडीए के घटक दल आजसू पार्टी के खाते में गई थी. इसमें भी बीजेपी की कोई सीधी भागीदारी नहीं थी. अब डुमरी में उपचुनाव होना है. प्रत्याशी बीजेपी का होगा या आजसू का यह अभी तक तय नहीं है, पर इतना निश्चित है कि वहां बीजेपी और आजसू का साझा उम्मीदवार ही होगा. दरअसल, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद डुमरी सीट खाली हुई है. यह जेएमएम की सीट थी, लगातार तीन बार डुमरी से जगरनाथ महतो विधायक निर्वाचित होते रहे थे. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में डुमरी सीट पर आजसू पार्टी और बीजेपी ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए थे. यानी एनडीए के वोटों का बंटवारा हो गया और जगरनाथ महतो जीत गए थे. 


बाबूलाल मरांडी के लिए होगी चुनौती
सीएम हेमंत सोरेन ने जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए बगैर मंत्री बना दिया है. इससे एक बात तो साफ है कि चुनाव होने पर वही जेएमएम की प्रत्याशी होंगी. साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जेएमएम के टिकट पर लड़े जगरनाथ महतो को 71,128 वोट मिले थे और वे विजयी घोषित हुए थे. बीजेपी उम्मीदवार को 36013 वोट आए थे, जबकि आजसू पार्टी के प्रत्याशी को 36,840 वोट मिले थे. आजसू अभी बीजेपी के साथ है. गिरिडीह लोकसभा की सीट भी अभी आजसू के कब्जे में है. डुमरी सीट गिरिडीह संसदीय क्षेत्र के तहत ही आती है. अगर दोनों का साझा उम्मीदवार हुआ तो जेएमएम को नुकसान हो सकता है.


साल 2019 के वोटों को देखें तो आजसू और बीजेपी को मिले वोट 72 हजार से अधिक होते हैं, जबकि जगरनाथ महतो करीब 71 हजार वोटों से ही जीते थे. बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए यह चुनौती है कि साझा उम्मीदवार उतार कर कैसे वे डुमरी सीट एनडीए के खाते में लाते हैं.







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