Jharkhand News: झारखंड में एक्शन मोड में ED, रडार पर सत्ता और ब्यूरोक्रेसी के बड़े चेहरे, जानें- किनकी बढ़ सकती हैं मुश्किलें?
Jharkhand ED News: झारखंड में ईडी की सबसे ताजा कार्रवाई शराब घोटाले में हुई है. बीते गुरुवार को शराब घोटाले के किंगपिन माने जाने वाले राज्य के बड़े कारोबारी योगेंद्र तिवारी को ईडी ने गिरफ्तार किया था.
Jharkhand ED Action News: झारखंड में ईडी सुपर एक्टिव मोड में है. खनन घोटाला (Mining Scam), जमीन घोटाला (Land scam) के बाद अब शराब (Liquor Scam) और बालू घोटाले (Sand Scam) में एजेंसी की ओर से शुरू की गई कार्रवाई से सत्ता से लेकर ब्यूरोक्रेसी के गलियारों में हलचल है. अलग-अलग मामलों में जांच का बढ़ता दायरा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren), उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों और राज्य के करीब आधा दर्जन आईएएस और राज्य सेवा के अफसरों की परेशानी बढ़ा सकता है.
ईडी पावर ब्रोकर्स और कई कारोबारियों पर भी लगातार शिकंजा कस रहा है. ईडी की जांच और कार्रवाई की वजह से राज्य के दो आईएएस अफसर पूजा सिंघल और छविरंजन, ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम, आठ-नौ बड़े कारोबारी विष्णु अग्रवाल, अमित अग्रवाल, दिलीप घोष, योगेंद्र तिवारी, सुनील यादव, टिंकल भगत, भगवान भगत, कृष्णा शाह, दो चार्टर्ड एकाउंटेंट सुमन कुमार, नीरज मित्तल और दो पावर ब्रोकर्स पंकज मिश्र, प्रेम प्रकाश और योगेंद्र तिवारी सहित 20 से भी ज्यादा लोग जेल भेजे जा चुके हैं.
योगेंद्र तिवारी से की जा रही है पूछताछ
एजेंसी की सबसे ताजा कार्रवाई शराब घोटाले में हुई है. बीते गुरुवार को शराब घोटाले के किंगपिन माने जाने वाले राज्य के बड़े कारोबारी योगेंद्र तिवारी को ईडी ने गिरफ्तार किया. इसके पहले उससे तीन अलग-अलग तारीखों में लंबी पूछताछ की गई. अब एजेंसी ने उसे आठ दिनों की रिमांड पर लेकर शनिवार से विस्तृत पूछताछ शुरू की है. गिरफ्तारी के बाद उसे अदालत में पेश करते हुए एजेंसी ने दावा किया कि योगेंद्र तिवारी शराब के साथ-साथ जमीन एवं बालू के अवैध कारोबार में शामिल रहा है और उसे कई अफसरों और नेताओं का संरक्षण प्राप्त था.
जाहिर है, योगेंद्र तिवारी से होनेवाली पूछताछ से जो तथ्य सामने आने वाले हैं, उसकी आंच झारखंड की सत्ता और नौकरशाही के बड़े चेहरों तक पहुंचेगी. योगेंद्र तिवारी के खिलाफ देवघर जिले के अलग-अलग थानों में पूर्व से दर्ज चार एफआईआर के आधार पर ईडी ने बीते 31 मार्च को ईसीआईआर (इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज की थी. इसके बाद 23 अगस्त को राज्य में 34 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर कई तरह के दस्तावेज और साक्ष्य बरामद किए गए थे. इनमें से एक ठिकाना राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव और उनके पुत्र रोहित उरांव का आवास भी था. यहां से ईडी ने तीस लाख रुपए नगद भी बरामद किए थे.
कितने लोग हैं ईडी की जांच की जद में?
इस छापेमारी के बाद जांच का दायरा और बढ़ गया. ईडी ने अब उसी ईसीआईआर में 15 और एफआईआर को जोड़ दिया है. इन एफआईआर में नामजद करीब 20 से ज्यादा लोग तो सीधे तौर पर ईडी की जांच की जद में आ गए हैं. संभावना जताई जा रही है कि कड़ियां जैसे-जैसे जुड़ेंगी, घोटालों के नए-नए किरदार सामने आएंगे.
आरोप है कि योगेंद्र तिवारी ने वर्ष 2021-22 में राज्य में शराब के कारोबार में एकाधिकार कायम कर लिया. उसने अपने कर्मचारियों के नाम पर अलग-अलग फर्म बनाकर शराब के ठेके हासिल किए थे और इन फर्मों का पूरा नियंत्रण योगेंद्र तिवारी के हाथ में ही था. झारखंड में जो शराब घोटाला हुआ है, उसकी कड़ियां छत्तीसगढ़ से भी जुड़ी हैं.
2021-22 में लागू हुई थी शराब बिक्री की नई पॉलिसी
दरअसल झारखंड सरकार ने वर्ष 2021-22 में एक्साइज यानी शराब बिक्री की नई पॉलिसी लागू की थी और इसे जमीन पर उतारने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के साथ करार करते हुए उसे बतौर कंसल्टेंट नियुक्त किया था. इस कंसल्टेंट कंपनी की सलाह पर छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड सरकार ने शराब की खुदरा बिक्री अपने हाथ में लेते हुए प्लेसमेंट एजेंसियों को दुकानें चलाने का जिम्मा सौंपा था.
यह काम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन एमडी अरुण पति त्रिपाठी और उनके साझीदार सिद्धार्थ सिंघानिया की देखरेख में धरातल पर उतारा गया था. अब झारखंड के शराब घोटाले में उनकी भूमिका की जांच तेज होगी. ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई इस सिलसिले में झारखंड के दो आईएएस अफसरों विनय कुमार चौबे और करण सत्यार्थी को भी बीते अप्रैल महीने में तलब कर चुकी है. संभावना है कि ईडी की झारखंड इकाई भी अब इन दोनों अफसरों को नोटिस कर सकती है. विनय चौबे झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के सचिव भी हैं. ऐसे में मामले में जांच की आंच अंततः प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर सीएम तक पहुंच सकती है.
हेमंत सोरेन से भी की जा चुकी है पूछताछ
इसके पहले एक हजार करोड़ के खनन घोटाले में ईडी राज्य के सीएम हेमंत सोरेन तक से पूछताछ कर चुकी है. जमीन घोटाले की जांच में भी उन्हें पांच बार समन किया जा चुका है. सोरेन इनमें से किसी समन पर उपस्थित नहीं हुए और ईडी के खिलाफ पहले सुप्रीम कोर्ट और उसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हालांकि, कोर्ट से उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली है. संभव है कि ईडी इस मामले में उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई कर सकती है.
सीएम हेमंत सोरेन खुद इस बात को लेकर आशंकित हैं और वह कह चुके हैं कि केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर उन्हें जेल भेजने की साजिश रची जा रही है. सोरेन मंत्रिमंडल के कांग्रेस कोटे के वरिष्ठ मंत्री आलमगीर आलम पर ईडी ने साहिबगंज जिले के बड़हरवा में टेंडर से जुड़े एक विवाद में पिछले साल ही एफआईआर दर्ज की है. इसकी भी जांच आगे बढ़ सकती है.
ईडी ने करीब 200 करोड़ के भ्रष्टाचार के सबूत जुटाए
सीएम सोरेन के प्रधान सचिव रहे सीनियर आईएएस राजीव अरुण एक्का के खिलाफ ईडी ने करीब 200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के सबूत पहले ही जुटाए हैं. एजेंसी इन सबूतों और ब्योरों पर एक रिपोर्ट राज्य सरकार और एंटी करप्शन ब्यूरो के साथ साझा करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कह चुकी है. तय है कि इन तमाम मामलों में ईडी की जांच और कार्रवाई आने वाले महीनों में जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, राज्य की सत्ता और सियासत में बवंडर और तेज होगा.
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