Jharkhand News: झारखंड में लगातार हाथियों और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं. ऐसे में हाथियों को जंगलों में ही रखने और लोगों को सुरक्षित रखने के लिए गलियारा बनाने, चेक डैम बनाने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं. एक शीर्ष वन अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि खनन गतिविधियों में बढ़ोतरी, बढ़ता शहरीकरण, कृषि और राजमार्ग निर्माण के कारण हाथियों के पारंपरिक गलियारे समाप्त हो रहे हैं, जिससे इंसान और पशुओं के बीच संघर्ष बढ़ रहा है.


प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि, कृषि का विस्तार हो रहा है, रिहायश पर सामाजिक आर्थिक दबाव के कारण इन हाथियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ता है और फिर संघर्ष होता है. झारखंड में करीब 650 हाथी हैं. साथ ही इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष में सालाना औसतन 80 लोगों की जानें जाती हैं. उन्होंने कहा कि कई बार ये पशु गांवों की ओर रुख कर लेते हैं, फसलें खा जाते है और अन्य तबाही मचाते हैं. साथ ही इन सब समस्याओं को दूर करने के लिए विभाग ने इनके रुचिकर वन क्षेत्रों में इनकी रिहायश को सुरक्षित रखते हुए इन्हें आश्रय, भोजन और पानी देने की योजना तैयार की है.


तीन लाख से अधिक बांस लगाए गए
संजय श्रीवास्तव ने कहा कि, हाथी बांस पसंद करते हैं तो हम बांस लगा रहे हैं. इस वित्त वर्ष में उन क्षेत्रों में तीन लाख से अधिक बांस लगाने के अलावा लगभग एक हजार चेक डैम का निर्माण किया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि साल 2000 में झारखंड के गठन से अब तक इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष में 1,500 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. भारत राज्य वन रिपोर्ट (ISFR) के अनुसार, झारखंड का वन क्षेत्र 243 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया है. साल 2015 में यह 23,478 वर्ग किलोमीटर था जो 2021 में बढ़कर 23,716 वर्ग किलोमीटर हो गया है.



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